राज्य » बिहार / झारखण्डPosted at: Jul 24 2019 2:35PM बाढ़ और सुखाड़ में किसानों की तरह मछली पालकों को भी क्षतिपूर्ति देती है सरकार
पटना 24 जुलाई(वार्ता) बिहार सरकार ने आज स्पष्ट किया कि बाढ़ और सुखाड़ से मछलियों के नष्ट होने पर प्राकृतिक आपदा घोषित कर मुआवजा देने का कोई प्रावधान नहीं है लेकिन सरकार ऐसे समय में मछली पालकों को उसी तरह क्षतिपूर्ति देती है जिस तरह से किसानों को फसल नष्ट होने पर दिया जाता है।
बिहार विधानसभा में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के समीर कुमार महासेठ और आठ अन्य सदस्यों के ध्यानाकर्षण पर आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से जवाब दे रहे संसदीय कार्य मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि बाढ़ और सुखाड़ से मछलियों के नष्ट हो जाने पर मुआवजा देने का प्रावधान नहीं है लेकिन ऐसे समय में मछली पालकों को राहत पहुंचाने के लिए कुछ प्रावधान किए गए हैं। उन्होंने कहा कि इसके तहत मछली फार्मों को गाद निकालने, पुनर्स्थापना और मरम्मत आदि में 12 हजार दो सौ रुपये प्रति हेक्टेयर की सहायता दी जाती है।
श्री कुमार ने बताया कि मछुआरों को नाव और जाल आदि के क्षतिग्रस्त या खो जाने पर भी सहायता दी जाती है। आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त नाव के लिए 4100 रुपये, आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त जाल के लिए 2100 रुपये तथा पूर्णतः क्षतिग्रस्त नाव के लिए 9600 रुपये और इसी तरह पूर्णतः क्षतिग्रस्त जाल के लिए 2600 रुपये दिए जाते हैं। उन्होंने बताया कि मछली जीरा फार्म के लिए इनपुट सब्सिडी के रूप में राशि 8200 रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से सहायता देने का प्रावधान है।
शिवा सूरज
वार्ता