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भारतेंदु नाट्य उत्सव के अंतिम दिन ‘लल्लेश्वरी’ नाटक का मंचन

नयी दिल्ली 24 मार्च (वार्ता) राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित पांच दिवसीय ‘भारतेंदु नाट्य उत्सव’ के अंतिम दिन शुक्रवार को लेखिका व कवयित्री काजल सूरी की ओर से ‘एक आवाज़ मोहब्बत की - लल्लेश्वरी’ नाटक की प्रस्तुति दी गयी।
दिल्ली में पांच दिवसीय हिंदी रंगमंच उत्सव 20 मार्च से 24 मार्च तक आयोजित किया गया था। हर वर्ष ‘भारतेंदु नाट्य उत्सव’ दिल्ली सरकार के साहित्य कला परिषद और सांस्कृतिक विभाग द्वारा आयोजित किया जाता है।
इस उत्सव की शुरुआत गत सोमवार को पहला नाटक अभिनेता निर्देशक जेपी सिंह द्वारा निर्देशित जयवर्धन का ‘छोड़ो कल की बातें’ से शुरूआत की गयी थी। दूसरे दिन, भूपेश जोशी द्वारा निर्देशित नाटक ‘मन के भंवर’ को मंगलवार को प्रदर्शित किया गया था, जिसे पद्मश्री डी.पी. सिन्हा ने लिखा है। बुधवार को प्रसिद्ध भारतीय लेखक, कवि, उपन्यासकार सच्चिदानन्द हीरानंद वात्स्यायन का नदी के द्वीप पर आधारित नाटक प्रदर्शित किया गया। यह कबीर खान द्वारा निर्देशित और रजनीश मन्नी द्वारा अनुकूलन है। अनुरागना थिएटर ग्रुप द्वारा प्रस्तुत और अशरफ अली द्वारा निर्देशित गुरुवार को जूलियस सीज़र नाटक को प्रस्तुत किया गया, जिसे मुख्य रूप से विलियम शेक्सपियर द्वारा रचा गया है। वहीं उत्सव के अंतिम दिन यानि आज ‘एक आवाज़ मोहब्बत की - लल्लेश्वरी प्रसिद्ध अभिनेता, निर्देशक, लेखक और कवयित्री काजल सूरी रुबरू समूह द्वारा प्रस्तुति दी गयी।
काजल सूरी एक प्रसिद्ध अभिनेत्री, निर्देशक, लेखिका और कवयित्री हैं। उन्होंने कई थिएटर नाटकों का निर्देशन किया है और देश भर में निर्देशक और अभिनेत्री के रूप में कई थिएटर उत्सवों में भाग लिया है। ‘लल्लेश्वरी’ नाटक एक आवाज मोहब्बत की- लल्लेश्वरी, कश्मीरी सूफी कवयित्री पर आधारित है।
कवयित्री लल्लेश्वरी को समुदाय (1320-1392) में ‘लाल आरिफा’ के नाम से जाना जाता था। उन्होंने कश्मीर में शैव धर्म की विरासत को आगे बढ़ाया।
भारतेंदु नाट्य उत्सव की सफलता पर बात करते हुए, डॉ मोनिका प्रियदर्शिनी ने कहा, “यह देखकर बहुत खुशी होती है कि दर्शक हिंदी थिएटर को दिल से अपना रहे हैं। यह उत्सव पिछले 40 वर्षों से आयोजित किया जा रहा है और हर साल हमें जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली है। केवल पांच बेहतरीन नाटकों का चयन करना एक बड़ा फैसला होता है, क्योंकि सभी नाटक एक दूसरे के बराबर होते हैं। आशा है कि हम आने वाले वर्षों में कई और रचनात्मक नाटक देखेंगे।”
श्रद्धा.संजय
वार्ता
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