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रांची : झारखंड आंदोलनकारी मोर्चा ने आयोग के गठन की मांग की

रांची, 25 फरवरी (वार्ता) झारखंड आंदोलनकारी मोर्चा ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से बजट सत्र में झारखंड आंदोलनकारी आयोग का गठन करने की मांग की है।
मोर्चा के केंद्रीय नेताओं की एक बैठक आज रांची प्रेस क्लब में मुमताज़ अहमद खान की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई, जिसे मोर्चा की संयोजक मंडली के सदस्य विमल कच्छप, प्रवीण प्रभाकर, शफीक आलम, जिप सदस्य अनिल टाइगर एवं प्रवक्ता उमेश यादव आदि ने मुख्य रूप से संबोधित किया।
केंद्रीय संयोजक प्रवीण प्रभाकर ने बताया कि बैठक में मांग की गई कि बजट सत्र में झारखंड आंदोलनकारी आयोग का गठन शीघ्र किया जाए और आंदोलनकारियों को स्वतंत्रता सेनानी की तर्ज पर सुविधाएं दी जाएं, नहीं तो आंदोलनकारी सड़क पर उतरेंगे। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने झारखंड आंदोलन में शहीदों के आश्रितों को सीधी नौकरी देने की घोषणा की है, जिसका बैठक में स्वागत किया गया।
बैठक में प्रस्ताव पारित कर कहा गया कि राज्य सरकार सभी चिन्हित आंदोलनकारियों को ताम्र पत्र, पहचान पत्र एवं प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित करने का कार्य शीघ्र आरम्भ करे, सभी आंदोलनकारियों को एक कोटि में रखकर एक समान सम्मान राशि तथा अन्य सुविधाएं प्रदान करे। कंडिका 2 (क) एवं (ग) और 3 को समाप्त कर केवल कंडिका 2 रखा जाए, क्योंकि सभी आंदोलनकारियों ने समान रूप से कुर्बानी दी है।
वक्ताओं ने कहा कि यह दुर्भाग्य की बात है कि जिनके संघर्ष के दम पर अलग राज्य बना, वहीं आंदोलनकारी बीस वर्ष से सम्मान एवं पेंशन की आस में भटक रहे हैं और कई लोगों की मौत भी हो चुकी है। झारखंड आंदोलन में भाग लेने वाले 64,000 लोगों ने झारखंड आंदोलनकारी चिन्हितिकरण आयोग को आवेदन दिया था, जिसमें से अब तक मात्र चार हजार ही चिन्हित किए जा सके हैं और डेढ़ हजार को ही पेंशन शुरू हो पाया है। उन्होंने कहा कि आंदोलनकारियों को तीस हजार रुपये प्रति माह पेंशन दिया जाए।
मोर्चा ने कहा कि सभी जिलों में सम्मेलन कर आंदोलनकारियों को एकजुट तथा जागरूक किया जा रहा है। अब तक लातेहार, रांची, खूंटी, बोकारो, हजारीबाग, सिल्ली, रातू, गुमला आदि स्थानों पर सम्मेलन हो चुका है। शीघ्र ही संथालपरगना के सभी जिलों में कार्यक्रम होगा और इसके बाद केंद्रीय समिति की बैठक 30 मार्च को होगी।
नेताओं ने कहा कि आंदोलनकारियों को पहचान पत्र व नौकरियों में आरक्षण मिले, पेंशन की राशि तीस हजार रुपये की जाए, शहीदों की जीवनी पाठ्यक्रम में शामिल हो।
बैठक में झारखंड आंदोलन में शहीद हुए निर्मल महतो, सुनील महतो, सुदर्शन भगत आदि को राजकीय शहीद का दर्जा देने के लिए प्रस्ताव पारित किया गया। झारखंड के शहीदों के नाम पर विभिन्न संस्थानों, विश्वविद्यालयों, स्कूलों, कालेजों,मुख्य सड़क, चौक और चौराहों का नामकरण करने के लिए भी प्रस्ताव पारित किया गया। सम्मेलन में यह भी मांग उठाई गई कि सभी आंदोलनकारियों को एक ही कैटेगरी में रखकर बराबरी का दर्जा दिया जाए, 1932 के खतियान या अंतिम सर्वे के आधार पर स्थानीय नीति बनाई जाए, 20 सूत्री और निगरानी समिति में आंदोलनकारियों को स्थान दिया जाए, पाठ्यक्रम में आंदोलनकारी और शहीदों की संघर्ष गाथा को शामिल किया जाए, सभी वरिष्ठ आंदोलनकारियों को जिले के कार्यक्रम में अतिथि के रुप में आमंत्रित किया जाए और टोल टैक्स पर भी आंदोलनकारियों को छूट मिले।
विनय सतीश
वार्ता
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