राज्य » बिहार / झारखण्डPosted at: May 31 2020 12:19AM लेह-लद्दाख से हवाई जहाज से दुमका पहुंचे 40 प्रवासी मजदूरदुमका 30 मई (वार्ता) झारखंड सरकार और दुमका जिला प्रशासन की पहल से लाॅकडाउन की वजह से लेह-लद्दाख, करगिल और जम्मू-कश्मीर के विभिन्न क्षेत्रों में फंसे जिले के 40 प्रवासी मजदूरों को हवाई जहाज और विशेष बस से शनिवार को सुरक्षित घर पहुंचा दिया गया। लम्बे समय से लेह -लद्दाख, करगिल एवं जम्मू कश्मीर में फंसे प्रवासी मजदूरों को हवाई जहाज से पहले रांची स्थित बिरसा मुंडा हवाईअड्डा लाया गया। इसमें दुमका जिले के 40 प्रवासी मजदूर शामिल थे। ये सभी मजदूर लेह-करगिल और बटालिक सेक्टर में सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) की ओर से कराए जा रहे निर्माण कार्य में जुटे थे। इन मजदूरों ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से घर वापसी की गुहार लगाई थी। श्री सोरेन लगातार लेह प्रशासन के संपर्क में थे। इसके बाद सरकार द्वारा उन्हें हवाई जहाज से झारखंड लाने की व्यवस्था की गई। रांची हवाईअड्डे से बस से प्रवासी मजदूरों को दुमका लाया गया। इसमें कुछ मजदूर अन्य जिले के भी थे। लेह-लद्दाख से दुमका पहुंचे मसलिया प्रखंड के नौ, रानीश्वर प्रखंड के चार, शिकारीपाड़ा के एक, करगिल एवं जम्मू कश्मीर में फंसे जिले के गोपीकांदर प्रखंड के 11, एवं काठीकुंड के 15 मजदूरों को दुमका पहुंचाने पर जिला प्रशासन द्वारा उनके स्वास्थ्य की जांच की गयी। इस क्रम बातचीत के दौरान प्रवासी मजदूरों ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य सरकार और जिला प्रशासन की पहल पर संकट में फंसे हम मजदूरों को हवाई जहाज से घर भेजा जाएगा। यह सुनकर यकीन भी नहीं हो रहा था,लेकिन आज घर पहुंचकर अपनी जन्म भूमि,अपनी मिट्टी और अपने परिवार से मिलकर बेहद खुशी हो रही है। प्रवासी मजदूरों ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और जिला प्रशासन के प्रति आभारी व्यक्त करने के साथ धन्यवाद दिया। इस बीच प्रवासी रमेश्वर देहरी ने कहा, “हवाई जहाज पर सफर करना तो दूर उन्हें अब तक हवाई जहाज को नजदीक से देखने का भी अवसर नहीं मिला था। इस संकट की घड़ी में हम मजदूर हर पल सांसत में दिन गुजारने को विवश थे। हवाई जहाज से अपने घर वापसी का मौका मिलना किसी रोमांच से कम नहीं है। दो महीने के इंतजार के बाद अब घर पहुंच गए तो ऐसा लग रहा है मानो स्वर्ग पहुंच गए हैं।” मजदूरों ने कहा कि अपने घर में अपने परिवार के बीच रहकर कम कमा कर भी खुशी से जीवन गुजारा जा सकता है। इस तरह का दिन दोबारा देखने की कल्पना से रूह कांप जाती है।सं सूरजवार्ता