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अमीर खुसरो हिन्दुस्तान की गंगा-जमुनी तहजीब की नींव: हरगोविन्द कुशवाहा

अमीर खुसरो हिन्दुस्तान की गंगा-जमुनी तहजीब की नींव: हरगोविन्द कुशवाहा

झांसी 06 फरवरी (वार्ता) उत्तर प्रदेश की वीरांगना नगरी झांसी में उर्दू के जाने माने शायर अमीर खुसरो पर आयोजित गोष्ठी में उत्तर प्रदेश सरकार के राज्यमंत्री हरगोविंद कुशवाहा ने अमीर खुसरो को देश की गंगा-जमुनी तहज़ीब की नींव बताया।

कलाम एजुकेशनल एण्ड वेलफेयर सोसायटी द्वारा कौमी काउन्सिल बराये फरोगे उर्दू जुबां (राष्ट्रीय उर्दू विकास परिषद) केंद्र सरकार नई दिल्ली के सहयोग से शनिवार को राजकीय संग्रहालय सभागार में ‘‘उर्दू के फरोग में अमीर खुसरो की खिदमात का तहकीकी और तनकीदी जायज़ा’’ विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी को मुख्य अतिथि के रुप में सम्बोधित करते हुए श्री कुशवाहा ने कहा कि ‘‘अमीर खुसरो हिन्दुस्तान की गंगा-जमुनी तहजीब की नींव थे। उन्होनें अपने साहित्य के माध्यम से हिन्दुस्तान की सांझा संस्कृति और भाईचारे को मजबूत करने का काम किया। वे सूफी परम्परा के शायर थे।’’ अमीर खुसरो ने अपनी रुबाईयों एवं शायरी में हिन्दी भाषा का इस्तेमाल बहुत ही उदारता के साथ किया। उर्दू गजल की शुरुआत भी अमीर खुसरो ने की। उनकी पहेलियां आज भी प्रांसगिक है।

संगोष्ठी की विशिष्ट अतिथि राज्य महिला आयोग, उ. प्र. की सदस्य डॉ़ कंचन जायसवाल ने कहा कि उर्दू शीरीं जुबां है। उर्दू भाषा में प्यार, मिठास व सम्मान है। भाषा के आधार पर झगडे हिन्दुस्तान की तहजीब नहीं है, यह सियासत का बंटवारा है। हमें हिन्दुस्तान को समझने के लिए हिन्दी और उर्दू को बराबर से पढना चाहिए।

संगोष्ठी के विशिष्ट अतिथि पुलिस उपाधीक्षक इमरान अहमद ने कहा कि अमीर खुसरो को समझने के लिए हमें उस दौर को समझना होगा, जब अमीर खुसरो ने उर्दू गजल की शुरुआत की। उन्होनें अमीर खुसरो की अनेकों रुबाईयों और शायरी के माध्यम से सांझा संस्कृति को बढाने में उनके योगदान को याद किया।

जी. आर. पी. रेलवे झांसी के पुलिस उपाधीक्षक नईम खान मंसूरी ने कहा कि अमीर खुसरो रचनाकार होने के साथ साथ गायन और वादन में भी सिद्धहस्त थे। उन्होनें उर्दू गजल को गीतों और दोहे के माध्यम से आमजन तक पहंुचाया तथा एक नई विधा को जन्म दिया।

क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी डॉ़ चित्रगुप्त श्रीवास्तव ने कहा कि किसी भी साहित्यकार को समग्र रुप से समझने के लिए उस समय की ऐतिहासिक स्थितियों को भी समझना चाहिए। अमीर खुसरो का समय इंसानियत और समाजी मुहब्बत को समझने के लिए बडा अहम् है। संगोष्ठी को दिल्ली माइनारिटी कमीशन के सदस्य सलाहकार शकील अहमद, जिला परिवीक्षा अधिकारी नन्दलाल, बाल कल्याण समिति के सदस्य मो. आबिद खान ने भी सम्बोधित किया। वक्ताओं द्वारा राज्य व केन्द्र सरकार से मांग की गई कि अमीर खुसरो के जन्मदिन को उर्दू डे के रुप में मनाया जाये।

इस अवसर पर डॉ. जाहिद एहसान (अलीगढ), डॉ़. मामून अब्दुल अजीज (नई दिल्ली), अलीम अहमद खान (झांसी), डॉ. वकार सिद्दीकी, डॉ. मो. नोमान खान (नई दिल्ली) ने अमीर खुसरो की खिदमात पर अपने शोधपत्रों का वाचन किया।

संगोष्ठी की अध्यक्षता शहर काजी मो. हाशिम, संचालन डॉ. मुहम्मद नईम ने, स्वागत शेख अरशद और आभार डाॅ. शारदा सिंह ने व्यक्त किया। कार्यक्रम का प्रारम्भ सभी अतिथियों द्वारा शमां रौशन कर किया। कलाम एजुकेशनल एण्ड वेलफेयर सोसायटी के शेख अरशद, पारसमणि अग्रवाल, आकिब खान, आदिल खान, अरमान खान, हयात बेग आदि द्वारा अतिथियों को बैच लगाकर एवं पुष्प भेंट कर स्वागत किया गया। कार्यक्रम के प्रारम्भ में मुफ्ती साबिर अंसारी, पेश इमाम, शहर ईदगाह ने कुरआन की आयतों का पाठ किया व बेबी रिफा नाज, अरसलान अंसारी, जैनब फारुकी ने नअत पाक पेश की।

कार्यक्रम के दूसरे सत्र में मुशायरा का आयोजन किया गया, जिसमें अर्जुन सिंह चांद, सरफराज मासूम, अब्दुल जब्बार शारिब, माहिर निजामी, हलीम राना, उस्मान अश्क, नसीम मुंहफट, अब्दुल गनी दानिश, मकीन कोंचवी, शारदा सिंह पायल, डॉ. जाहिद, पारसमणि अग्रवाल, मुहम्मद नईम आदि ने गजलों और शेरों के माध्यम से श्रोताओं की वाहवाही लूटी।

सोनिया

वार्ता

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