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अमरोहा बाहरी उम्मीदवारों से ही चुनेगा अपना सांसद

अमरोहा बाहरी उम्मीदवारों से ही चुनेगा अपना सांसद

अमरोहा 28 मार्च (वार्ता) पेयजल,सड़क और बेरोजगारी जैसी तमाम समस्यायों का सामना कर रहे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अमरोहा के मतदाताओं को अपनी किश्मत संवारने के लिए एक बार फिर बाहरी प्रत्याशियों में से किसी एक को अपना सांसद चुनना पड़ेगा।

इस संसदीय क्षेत्र की जनता ने बाहर से आए प्रत्याशियों को पूरा सम्मान दिया और उन्हें चुनकर लोकसभा में भेजा, लेकिन उन्हें निराशा ही हाथ लगी और उन्हें लगातार विभिन्न समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। इस बार मुख्य राजनीतिक दलों की ओर से भी जो उम्मीदवार उतारे गये हैं वे भी बाहरी हैं। कांग्रेस के सचिन चौधरी, भाजपा के कंवर सिंह तंवर और सपा-बसपा गठबंधन के कुंवर दानिश अली समेत 15 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। आजादी के बाद से अब तक 16 सांसद चुने गए हैं। इनमें अधिकतर अमरोहा से बाहर के ही हैं। मौजूदा सांसद कंवरसिंह तंवर दिल्ली निवासी हैं जबकि कुंवर दानिश अली और सचिन चौधरी मूलतः हापुड़ जिले के रहने वाले हैं। इस क्षेत्र में दूसरे चरण में 18 अप्रैल को मतदान होगा।

देश की आजादी के बाद लगातार तीन बार सांसद रहे हिफजुर्रहमान स्योहारा (बिजनौर) ,तथा लगातार दो बार सांसद बने इशहाक संभली संभल के रहने वाले थे। दो बार अमरोहा से सांसद बने चेतन चौहान मूलतः मुरादाबाद के मूंढापांडे के निवासी हैं। वर्ष 1984 में सांसद चुने गए रामपाल सिंह ठाकुरद्वारा मुरादाबाद तथा अमरोहा से बहुजन समाज पार्टी का खाता खोलने वाले राशिद अल्वी चांदपुर बिजनौर निवासी हैं।

पिछले लोकसभा चुनाव प्रचार में भाजपा के कंवरसिंह तंवर ने बेरोजगारी खासतौर से बेरोजगार युवकों को रोजगार गारंटी देने को मुद्दा बनाया था। गांव, गरीब और किसान के लिए काम करने के लिए काम करने का मतदाताओं से वायदा किया था परंतु क्षेत्र की जनता की समस्यायें कम नहीं हुयी हैं। औद्योगिक नगरी गजरौला में उद्योग धंधे दिव्यास्वप्न बन चुके हैं। अमरोहा नगर के अधिसंख्य क्षेत्रों का पानी जहरीला हो चुका है। गठबंधन से बसपा प्रत्याशी कुंवर दानिश अली तथा कांग्रेस प्रत्याशी सचिन चौधरी क्षेत्र के लिए अभी नये हैं। पिछले चुनाव में मोदी लहर और साथ ही क्षेत्र के लिए गैरविवादित छवि कंवरसिंह तंवर की जीत की वजह बनी थी लेकिन अब परिस्थितियां बदली हुयी हैं।

इस क्षेत्र के 25 हजार युवा मतदाता पहली बार अपने मतों का प्रयोग करेंगे। अमरोहा की गढ़ विधानसभा को छोड़कर चारों विधानसभाओं मंडी धनौरा, नौगावां सादात, हसनपुर तथा अमरोहा में इस बार 18 वर्ष आयु पूरी करने वाले 25 हजार मतदाताओं को जोड़ा गया है। अमरोहा लोकसभा क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या 16,33188 है, जिसमें 8,68915 पुरुष ,7,64162 महिला तथा 111 अन्य मतदाता शामिल हैं।

पुलिस महानिरीक्षक मुरादाबाद रमित शर्मा ने चुनाव के दौरान सुरक्षा चक्र मजबूत करने के साथ ही वीवीआईपी समेत राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर के राजनैतिक दलों के उम्मीदवारों के साथ ही क्षेत्रीय दलों के उम्मीदवारों को पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था मुहैया कराने के निर्देश दिये हैं। दिसंबर 2018 में राष्ट्रीय सुरक्षा जांच एजेंसी (एनआईए) व एटीएस द्वारा दिल्ली व पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 16 संदिग्ध ठिकानों पर छापामार कार्यवाही कर आईएसआईएस के माड्यूल हरकत-उल-हर्ब-ए-इस्लाम के नेटवर्क का भंडाफोड़ किया था। मास्टरमाइंड मुफ्ती सुहैल समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अमरोहा से चार आतंकवादियों को गिरफ्तार किया था जबकि दिल्ली, मेरठ के किठौर और हापुड़ के बक्सर से भी कुल दस लोगों को गिरफ्तार किया गया था। इसके मद्देनजर पुलिस महानिरीक्षक ने पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को आपसी सामंजस्य स्थापित कर सुरक्षा चक्र के साथ खुफिया सूचना तंत्र को मजबूत करने के निर्देश अधिनस्थों को दिए हैं।

अमरोहा लोकसभा सीट पर वर्ष 1952,1957,1962 में कांग्रेस से हिफजुर्रहमान, 1967 और 1971 में सीपीआई पार्टी के टिकट पर इश्हाक ,1977 में भारतीय लोकदल से तथा वर्ष 1980 में जनता पार्टी (एस) से चंद्रपाल सिहं, 1984 में कांग्रेस के टिकट पर रामपाल सिंह, 1989 में जनता दल से हरगोविंद सिहं, वर्ष 1991 और 1998 में क्रिकेट से राजनीति में आए भाजपा के चेतन चौहान, 1996 में समाजवादी पार्टी से प्रतापसिंह सैनी, 1999 में राशिद अल्वी बसपा के उम्मीदवार के रूप में सांसद बने।

वर्ष 2004 में यहां पहली बार निर्दलीय प्रत्याशी को जीत मिली और हरीश नागपाल सांसद बने। उनके भाई देवेंद्र नागपाल 2009 में आरएलडी से जीत हासिल कर दो सगे भाइयों के लगातार सांसद बनने का कीर्तिमान स्थापित किया। प्रदीप जय

 

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