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कांग्रेस,भाजपा को कभी खुशी कभी गम देता रहा बिलासपुर

कांग्रेस,भाजपा को कभी खुशी कभी गम देता रहा बिलासपुर

(अशोक टंडन से)

बिलासपुर 10 मार्च (वार्ता) छत्तीसगढ़ की हाई प्रोफाइल लोकसभा सीट राज्य के प्रमुख प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक दल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को कभी खुशी तो कभी गम की सौगात देता रहा है।

अविभाजित मध्य प्रदेश और राज्य पुनर्गठन के बाद बने छत्तीसगढ़ की अति महत्वपूर्ण बिलासपुर लोकसभा सीट समय-समय पर सामान्य और सुरक्षित दोनों ही श्रेणियों में आरक्षित भी होती रही है। अतीत के झरोंखों में देखा जाए तो बिलासपुर का चुनावी इतिहास बहुत दिलचस्प नजर आता है। सोलह आम चुनावों में कांग्रेस और भाजपा दोनों ने ही सात-सात बार जीत का स्वाद चखा है जबकि एक बार जीत का श्रेय निर्दलीय उम्मीदवार के खाते में गया तथा एक दफा भारतीय लोकदल ने चुनाव जीता।

करीब 400 वर्ष पुराने तथा किवदंतियों के मुताबिक एक खूबसूरत मछुआरन ‘ बिलासा’ के नाम पर बना बिलासपुर अपने भीतर कई विभिन्न विशिष्टताओं को समेटे हुए हैं। वर्ष 2000 तक बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र मध्य प्रदेश का हिस्सा था। पहले आम चुनाव में कांग्रेस के रेशमलाल जांगड़े यहां से सांसद निर्वाचित हुए । श्री जांगड़े ने 1957 के आम चुनाव में अपनी जीत दोहराई। इसके बाद 1962 के चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार सत्यप्रकाश ने आश्चर्यजनक रूप से चुनावी फतह हासिल की। उन्हें कांग्रेस ने अपना समर्थन दिया था आैर इस जीत को कांग्रेस ने अपनी जीत मानी।

वर्ष 1967 के आम चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस का विजयरथ फिर चल पड़ा और उसके उम्मीदवार अमर सिंह विजयी हुए। कांग्रेस की जीत का सिलसिला जारी रहा और 1971 के चुनाव में उसके उम्मीदवार राम गोपाल तिवारी ने जीत का परचम लहाराया। आपातकाल के बाद 1977 में हुए चुनाव में कांग्रेस के विजयरथ को भारतीय लोकदल ने रोक दिया और उसके उम्मीदवार निरंजन प्रसाद केशरवानी ने फतह हासिल की। वर्ष 1980 के आम चुनाव आने तक कांग्रेस के दो हिस्से हो गये। इस चुनाव में कांग्रेस (आई) के गोदिल प्रसाद अनुरागी ने विजयश्री हासिल की। इसके बाद 1984 में कांग्रेस के खेलनराम जांगड़े ने चुनाव जीतकर पार्टी का वर्चस्व कायम रखा।

वर्ष 1989 का आम चुनाव भाजपा के लिए बदलाव लेकर आया। पहले आम चुनाव और उसके बाद दूसरे चुनाव में भी कांग्रेस के विजयी उम्मीदवार रहे रेशमलाल जांगड़े बदली परिस्थिति में भाजपा के खेमे में आ चुके थे और 1989 के चुनाव में वह भाजपा की टिकट पर चुनावी जीत हासिल कर एक बार फिर संसद पहुंचे। चुनाव मैदान में कांग्रेस और भाजपा के बीच जीत-हार खेल चलता रहा । वर्ष 1991 में कांग्रेस का सिक्का एक बार फिर चमका और पार्टी ने 1984 वाली शानदार जीत की यादें ताजा कर दी।

लोकसभा चुनाव में बिलासपुर सीट से दूसरी जीत के लिए छटपटा रही भाजपा ने 1996 के चुनाव में जबरदस्त प्रदर्शन किया और कांग्रेस से यह सीट छीन ली। इसके बाद भाजपा ने फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा और 1998 और 1999 में लगातार जीत हासिल की ।

एक नवम्बर 2000 को पृथक छत्तीसगढ़ राज्य का अभ्युदय हुआ। संस्कृति और भाईचारा को लेकर संस्कारधानी कहलाने वाले बिलासपुर में प्रदेश के नये उच्च न्यायालय ( देश का सबसे बड़ा उच्च न्यायालय भवन) की स्थापना के बाद इसे ‘न्यायधानी’ की भी संज्ञा दी जाती है। अलग राज्य बनने के बाद 2004 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने अपना कब्जा बरकरार रखा। लगातार पराजय से जूझ रही कांग्रेस ने 2009 के संसदीय चुनाव में नयी रणनीति के तहत पहली बार महिला उम्मीदवार को चुनाव मैदान में उतारने का फैसला किया और छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी की पत्नी श्रीमती रेणु जोगी को पार्टी की टिकट दिया। भाजपा ने इस मौके पर अलग दांव खेला और जशपुर क्षेत्र के दिलीप सिंह जूदेव की लोकप्रियता को देखते हुए बिलासपुर लोकसभा के चुनावी समर में उतारा और कांग्रेस की रणनीति को भेदने में वह सफल भी रही।

वर्ष में 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस महिला उम्मीदवार को चुनाव मैदान पर खड़ा करने की रणनीति पर कायम रहने के साथ ही पार्टी ने एक और दांव खेला । अंतरविरोधों के चलते भाजपा का दामन झटककर कांग्रेस में शामिल हुई पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी की भतीजी करूणा शुक्ला को अपना उम्मीदवार बनाया। इसके बावजूद कांग्रेस की रणनीति कारगर साबित नहीं हुई । भाजपा ने बिलासपुर के लिए नितांत अनजान रहे लखन साहू पर दांव आजमाया । उसकी चुनावी व्यूहकौशल और रणनीति का ही परिणाम रहा कि श्री साहू चुनाव जीत गये।

भौगोलिक नक्शे में बिलासपुर जिले में सर्वाधिक मनोकामना ज्योति प्रज्वलित करने के लिए विश्व में विख्यात दैवीय आस्था का केंद्र देवी महामाया मंदिर और देश में रेलों के जरिए सर्वाधिक माल लदान का राजस्व अर्जित करने वाला साउथ ईस्ट सेंट्रल रेलवे जोन मुख्यालय तथा कोयला उत्पादन में रिकार्ड-दर-रिकार्ड बनाने वाला साउथ ईस्टर्न कोल फील्ड लिमिटेड मुख्यालय है। बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र अंतर्गत आठ विधानसभा सीटें बिलासपुर, कोटा, तखतपुर, बिल्हा,बेलतरा और मस्तूरी-सु (बिलासपुर जिला) तथा लोरमी एवं मुंगेली-सु (मुंगेली जिला) है। इनमें से चार भाजपा के पास, दो कांग्रेस और दो जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के पास है। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान के आंकड़ों के मुताबिक बिलासपुर संसदीय क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या 1727325 थी जिनमें 889222 पुरुष और 838103 महिला मतदाता थी।

टंडन.जय

वार्ता

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