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बहुभाषायी एकता की मजबूती के लिए संवाद जरूरी: वेंकैया

बहुभाषायी एकता की मजबूती के लिए संवाद जरूरी: वेंकैया

हैदराबाद, 03 अक्टूबर (वार्ता) उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा है कि देश की संस्कृति और बहुभाषायी एकता की मजबूती के लिए विचारों के आदान-प्रदान तथा भारतीय भाषाओं के परस्पर प्रभाव को लेकर संवाद की आवश्यकता है।

श्री नायडू गुरुवार को यहां राज्यसभा की हिन्दी सलाहकार समिति की आठवीं बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्हाेंने कहा कि भाषाओं के संरक्षण और प्रसंस्करण के लिए इनका निरंतर उपयोग एक बढ़िया तरीका है। उन्हाेंने हिन्दी के साथ ही अन्य सभी भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाने पर बल देते हुए कहा कि सभी मातृभाषा और क्षेत्रीय भाषाओं का सम्मान किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि बहुत सी भाषाओं का ज्ञान भारत जैसे बहुभाषी देश के लिए वरदान है। उन्हाेंने जाेर दिया कि किसी भाषा को थोपा नहीं जाना चाहिए और न ही विरोध किया जाना चाहिए।

राज्यसभा के सभापाति ने हैदराबाद को संस्कृति और भाषा का संगम बताते हुए कहा कि तेलुगू के साथ ही हिन्दी और उर्दू के प्रसार तथा विकास में इस शहर की महती भूमिका रही है। उन्हाेंने कहा कि श्री त्रिलोक चंद्र शास्त्री, पंडित कृष्ण दत्त, पंडित विनायक राव विद्यालंकार, श्री बदरी विशाल पिट्टी के शोधकर्ताओं तथा अन्य का क्षेत्र में हिन्दी को बढ़ावा दिये जाने में सराहनीय योगदान रहा।

देश के बहुसंख्यक लोगों द्वारा बोलचाल में प्रयुक्त की जाने वाली हिन्दी की महत्ता को व्यक्त करते हुए श्री नायडू ने कहा कि उच्च सदन की प्रतिदिन की कार्यवाही में हिन्दी के उपयोग को बढ़ावा देना राज्यसभा की हिन्दी सलाहकार समिति का मुख्य उद्देश्य है।

उप राष्ट्रपति ने सरल हिन्दी का शब्दकोष प्रकाशित किये जाने की सलाह भी दी और कहा कि सांसदों विशेषकर गैर-हिन्दी भाषी सांसदों के लिए यह लाभदायक होगा। उन्होंने आधिकारिक भाषा विभाग को सरल हिन्दी के प्रयोग को लेकर सांसदों के लिए एक कार्यशाला आयोजित करने के निर्देश दिए।

हिन्दी को बढ़ावा देने में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रेरणा का उल्लेख करते हुए श्री नायडू ने कहा कि गांधीजी ने 1918 में मद्रास (अब चेन्नई) में दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा की स्थापना की थी। इससे प्रेरित होकर 1935 में हैदराबाद में हिन्दी प्रचार सभा की स्थापना की गयी।

कार्यक्रम में राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश, सांसदों के अलावा के केशवराव, सत्यनारायण जटिया, प्रो. मनोज झा, रवि प्रकाश वर्मा, हुसैन दलवी, देश दीपक वर्मा और हिन्दी सलाहकार समिति के सदस्य मौजूद थे।

टंडन.श्रवण

वार्ता

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