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मध्यप्रदेश में ई टैंडर घोटाले में ईओडब्ल्यू ने दर्ज की प्राथमिकी

मध्यप्रदेश में ई टैंडर घोटाले में ईओडब्ल्यू ने दर्ज की प्राथमिकी

भोपाल, 10 अप्रैल (वार्ता) मध्यप्रदेश में पूर्ववर्ती भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के शासनकाल में हुए लगभग तीन हजार करोड़ रूपयों के ई टैंडर घोटाले के मामले में आज राज्य के आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) ने कुछ कंपनियों और राज्य के निर्माण विभागों से जुड़े लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर ली। इस मामले में अज्ञात राजनीतिज्ञों तथा प्रशासनिक अधिकारियों के विरूद्ध भी अपराध दर्ज किया गया है।

ईओडब्ल्यू के पुलिस अधीक्षक अरूण मिश्रा बताया कि लगभग तीन हजार करोड़ रुपए के इस घोटाले में जल निगम के तीन, लोक निर्माण विभाग के दो, जल संधासन विभाग के दो टेंडर, मध्यप्रदेश सडक विकास निगम के एक टेंडर, लोक निर्माण विभाग की पीआईयू का एक टेंडर सहित नौ टेंडरों के साफ्टवेयर में छेड़छाड़ कर संबंधित कंपनियों को लाभ पहुंचाया गया है।

उन्होंने बताया कि साफ्टवेयर में लाभांवित होने वाली कंपनी में हैदराबाद की कंस्ट्रक्शन कंपनियां जिसमें मेसर्स जीवीपीआर लिमिटेड, मेसर्स मैक्स मेंटेना लिमिटेड के अलावा मुंबई की कंस्ट्रक्शन कंपनिया दी ह्यूम पाइप लिमिटेड, मेसर्स जेएससी लिमिटेड और बड़ौदा की कंस्ट्रक्शन कंपनी सोरठिया बेलजी प्राइवेट लिमिटेड, मेसर्स माधव इन्फ्रा प्राेजेक्ट लिमिटेड़ एवं भोपाल की कंस्ट्रक्शन कंपनी मेसर्स रामकुमार नरवानी लिमिटेड के संचालकों के खिलाफ भ्रष्ट्राचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत अपराध दर्ज किया गया है।

इसके अलावा भोपाल स्थित साफ्टवेयर कंपनी ऑसमो आईटी सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के संचालकों एवं एमपीएसईडीसी भोपाल के अज्ञात कर्मचारी तथा मध्यप्रदेश के संबंधित विभागों के अधिकारियों एवं कर्मचारियों, साफ्टवेयर कंपनी एन्ट्रेस प्राइवेट लिमिटेड बैंगलोर तथा टीसीएस के अधिकारियों एवं कर्मचारियों एवं अन्य संबंधित अज्ञात राजनीतिज्ञों तथा प्रशासनिक अधिकारियों के विरूद्ध अपराध दर्ज किया गया है।

ईओडब्ल्यू सूत्रों के अनुसार पिछले कुछ वर्षों में राज्य के लोक निर्माण, जल संसाधन और लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभागों के अलावा कुछ अन्य विभागों में निर्माण कार्याें संबंधी अरबों रूपयों के ठेके ई टैंडर के जरिए दिए गए थे। इस दौरान पसंद की कंपनियों को ठेका देने में ई टैंडर के जरिए धाेखाधड़ी की गयी थी। इस मामले की जांच ईओडब्ल्यू कर रही है। उसने जांच के दौरान आज प्राथमिकी दर्ज कर ली।

ईओडब्ल्यू ने यह कार्रवाई मुख्य रूप से केंद्र सरकार की कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम की रिपोर्ट के आधार पर की है, हालाकि जांच एजेंसी के पास इससे जुड़े और भी सबूत हैं। बताया गया है कि विभिन्न निर्माण विभागों में करोड़ों रूपयों के ठेके ई टैंडर के जरिए दिए गए हैं। इसमें कथित तौर पर पासवर्ड आदि के जरिए छेड़छाड़ कर अपने पसंद के लोगों को काम दिए गए।

माना जा रहा है कि इस कार्य में संबंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा निजी कंपनियों के संचालकों और कंप्यूटर विशेषज्ञों ने मिलीभगत कर गड़बड़ियां कीं।

राज्य में दिसंबर 2018 के मध्य तक पंद्रह वर्षों से भाजपा का शासन था। दिसंबर मध्य से मुख्यमंत्री के रूप में वरिष्ठ कांग्रेस नेता कमलनाथ ने शपथ ली और सत्ता परिवर्तन के बाद से माना जा रहा था कि शीघ्र ही घोटालों के मामलों में भी कार्रवाई होगी।

इस बीच प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा ने एक ट्वीट के जरिए कहा 'सुना है कि शिवराज सरकार में हुए करोड़ों के ई टैंडर घोटाले में एफआईआर दर्ज हुयी है। मोदी जी इस घाेटाले के नोट गिनने कब आ रहे हैं आप। इनके दोषियों के खिलाफ आयकर छापामार कार्रवाई कब। चौकीदार चोर है और उसकी मिलीभगत से ही चोरी हुयी है।'

वहीं प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी ने एक न्यूज चैनल से कहा कि ईओडब्ल्यू जांच एजेंसी है और उसकी इस कार्रवाई को हाल में आयकर विभाग की मध्यप्रदेश में छापे की कार्रवाई से जोड़कर देखना उचित नहीं है। ईओडब्ल्यू अपना कार्य कर रहा है।

बघेल प्रशांत

वार्ता

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