नैनीताल 07 अगस्त (वार्ता) उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्रियों को कथित असंवैधानिक रूप से आवंटित सरकारी आवास के मामले में प्रदेश के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों भगत सिंह कोश्यारी और विजय बहुगुणा को दूसरी बार उस समय झटका लगा जब उच्च न्यायालय ने दोनों पूर्व मुख्यमंत्रियों की पुनर्विचार याचिकाओं को बुधवार को खारिज कर दी।
मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायमूर्ति रमेश चंद्र खुल्बे की युगलपीठ ने आज जारी फैसले में कहा कि पुनर्विचार याचिकाओं में दिये गये तथ्यों का कोई कानूनी आधार नहीं है। उन्हें मैरिट के आधार पर खारिज किया जाता है। अदालत ने 12 जून 2019 को पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई के बाद निर्णय को सुरक्षित रख लिया था।
पीठ ने देहरादून के गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) रूरल लिटिगेशन एंड एनटाइटलमेंट केन्द्र (रलेक) की जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए विगत 3 मई, 2019 को अंतिम आदेश पारित कर उत्तराखंड के पांच पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवंटित सरकारी आवास एवं प्रदत्त अन्य सुविधाओं को अवैध एवं असंवैधानिक घोषित कर दिया था।
न्यायालय ने पूर्व मुख्यमंत्रियों रमेश पोखरियाल निशंक, भुवन चंद्र खंडूरी, स्व. श्री नारायण दत्त तिवारी, भगत सिंह कोश्यारी और विजय बहुगुणा को छह माह के अंदर बाजार दर पर आवास किराया जमा करने के निर्देश दिये थे। अदालत ने सरकार को कहा था कि यदि प्रतिवादी किराये की धनराशि जमा नहीं करते हैं तो सरकार वसूली कार्यवाही अमल में ला सकती है।
रलेक की ओर से वर्ष 2010 में दायर जनहित याचिका में कहा गया था कि उत्तर प्रदेश पूर्व मुख्यमंत्री आवास आवंटन नियमावली, 1997 उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्रियों पर लागू नहीं होती है। सरकार की ओर से उन्हें असंवैधानिक तरीके से सरकारी आवासों का आवंटन किया गया है। पूर्व मुख्यमंत्रियों के निजी आवास के बावजूद उन्हें सरकारी आवास आवंटित किये गये हैं।
इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री कोश्यारी और बहुगुणा ने अदालत में पुनर्विचार याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया कि अंतिम आदेश पारित करने से पहले अदालत की ओर से कुछ तथ्यों का संज्ञान नहीं लिया गया है। दोनों पूर्व मुख्यमंत्रियों की ओर से यह भी कहा गया कि सरकार की ओर से 12 फरवरी को जो हलफनामा अदालत में पेश किया गया उसकी प्रति उन्हें उपलब्ध नहीं करायी गयी है। साथ ही सरकार की ओर से पूर्व मुख्यमंत्रियों के कुल आवास किराये का हिसाब अदालत में दिया गया है उसकी जानकारी उन्हें उपलब्ध नहीं करायी गयी है। यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के खिलाफ है।
याचिकाकर्ता रलेक के अधिवक्ता कार्तिकेय हरि गुप्ता ने बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक से 40 लाख 95 हजार 560 रुपये, श्री खंडूरी से 46 लाख 95 हजार 776 रुपये, श्री बहुगुणा से 37 लाख 50 हजार 638 रुपये, श्री कोश्यारी से 47 लाख 57 हजार 758 रुपये एवं दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी से सबसे अधिक एक करोड़ 12 लाख 98 हजार 182 रुपये वसूले जाने हैं। हालांकि अदालत ने श्री तिवारी के संबंध में निर्देश जारी नहीं किया है। श्री गुप्ता ने यह भी बताया कि पुनर्विचार याचिका के खारिज होने से अदालत द्वारा दी गयी छह माह की समयावधि पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।