बलरामपुर, 16मई(वार्ता)नफरत की फसल उगा कर देश की सदियों पुरानी गंगा जमुनी सौहार्द को खंडित करने वाले मुट्ठी भर लोगों के सामने उत्तर प्रदेश मे बलरामपुर जिले के उतरौला मे हिंदू मुस्लिमो का कारनामा नजीर बना हुआ है, जो एक सूत्र में बंध कर रोजेदारों के सेहरी तथा इफ्तार का सिर्फ इंतजाम ही नही कर रहे है बल्कि लॉकडाउन के दौरान प्रति दिन सैकडों गरीब परिवारों को पका पकाया भोजन भी पहुचा रहे है।
रमजान का महीना रहमतों और बरकतों का महीना है। माना जाता है कि इस महीने में गरीबों की मदद करने वालों को एक नेकी के बदले 70 गुना सवाब मिलता है। खुदा के इस हुक्म को मुस्लिम ही नही दूसरे धर्मो के लोग भी एहतराम(श्रद्धा) की नजरो से देखते है। रमजान के महीने मे ऐसे सैकडो गरीब,मजदूर पेशा लोग है जो लॉकडाउन के इस माहौल मे रोजगार छिन जाने से आर्थिक तंगी से परेशान है। फिर भी रोजा रखते है।
इन्हीं गरीब,मजदूर,रिक्शा चालक रोजेदारो को नगर के अंसार अहमद,एजाज मलिक,लकी खान और सीमाब जफर जैसे लोग शहरी और इफ्तार का इंतजाम कर रहे है। यही नही लॉकडाउन के इस माहौल में गरीब परिवारों को पका पकाया भोजन भी उपलब्ध करा रहे है जिसके लिए कम्युनिटी किचन का भी निर्माण कर लिया गया है।
गरीबो के लिए इनके हौसले को देखकर सुशील कुमार और अजीत कुमार यादव और राम कुमार प्रतिदिन चार से दस किलो मीटर का सफर तय कर रोजेदारो के लिए तैयार किये जा रहे। खाद्य सामग्री में हाथ बटा कर एक नेकी के बदले 70 गुना नेकी कमाने मे लगे है।
अजीत कुमार यादव ने बताया कि रोजेदारों और लॉकडाउन मे परेशान गरीबों के लिए भोजन तैयार कराने में मदद कर उन्हें आत्मीय सुकून मिलता है। उन्होंने बताया कि वह रोज कम्युनिटी किचन को दो घंटे का समय देते है। इस दौरान पूडी छानने से लेकर सब्जी बनाने तक मे रसोइया का हाथ बटाते है।
कुछ ऐसा ही कहना है सुशील कुमार का जो लॉकडाउन के समय प्रतिदिन 10 किलो मीटर का सफर तय कर कम्युनिटी किचन तक आते है। वह बताते है कि जब वह किसी गरीब रोजेदार के दरवाजे पर दस्तक देकर इफ्तार का सामान उसे देते है तो रोजेदार के मुह से निकलने वाली दुआ उन्हें सुकून की अनुभूति कराती है। सुशील कुमार ने बताया कि लॉकडाउन के समय घर मे कितना समय गुजारा जा सकता है। कम्युनिटी किचन में गरीबों के लिए भोजन तैयार करा कर उनका समय भी अच्छे से गुजर जाता है और इसी बहाने एक नेक काम करने का उन्हे मौका भी मिल जाता है।
अजीत कुमार यादव,सुशील कुमार और राम कुमार के हौसले को देख क्षेत्र का हर हिंदू मुस्लमान उन्हें सम्मान की नजरो से देख रहा है। सामुदायिक किचन के जरिये समाज मे सामुदायिक भावना पैदा कर गंगा जमुनी सौहार्द की बयार बहाने वाले कोरोना वैरियर्स के हौसले को देख कर मशहूर शायर पद्मश्री बेकल उत्साही का यह शेर बिल्कुल सटीक बैठ रहा है।
सं भंडारी
वार्ता