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इफको लायेगा नैनो उर्वरक :अवस्थी

इफको लायेगा नैनो उर्वरक :अवस्थी

नयी दिल्ली 15 सितंबर (वार्ता) देश की सहकारिता क्षेत्र की सबसे बड़ी उर्वरक कंपनी इंडियन फारमर्स फर्टिलाइजर कॉपरेटिव (इफको) के प्रबंध निदेशक उदय शंकर अवस्थी ने आज कहा कि फसलों की पैदावार बढाने के लिए रासायनिक उर्वरक के इस्तेमाल के दिन लद गये हैं और अब उनकी कम्पनी ‘नैनो उर्वरक’ का उत्पादन करेगी ।

श्री अवस्थी ने यहां इंडिया फाउंडेशन फाॅर रुरल डेवलपमेंट स्टडीज और राष्ट्रीय सहकारिता विकास निगम की ओर से आयोजित सोपान व्याख्यान के दौरान कहा कि इफको जल्दी ही एक ऐसा नैनो उर्वरक लायेगा जिसका मात्र दो ग्राम एक टन उर्वरक की शक्ति के बराबर होगा ।

उन्होंने कहा कि नैनो उर्वरक पर शोध के लिए उनकी कंपनी ने गुजरात के कलोल में इफको तरफदार प्रयोगशाला की स्थापना की है। इस प्रयोगशाला में नैनो उर्वरक के विकास में महत्वपूर्ण योगदान करने वाले डाॅ. तरफदार पौधा पोषण पर शोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि फसलों की पैदावार बढाने के लिए रासायनिक उर्वरकों के इस्तेमाल के दिन लद गये हैं । वेदों और पुराणों में उर्वरकों को लेकर जो सूत्र दिये गये हैं वह उन पर काम कर रहे हैं ।

  श्री अवस्थी ने कहा कि जिस प्रकार से हमें भोजन से ऊर्जा मिलती है ठीक उसी प्रकार से रासायनिक उर्वरकों से पौधों को ऊर्जा मिलती है। वर्ष 1960 के बाद उत्पादन बढाने के लिए किसानों ने यूरिया का प्रयोग शुरु किया था। बाद में फाॅस्फेट और पोटाश को भी शामिल किया गया। इसके बाद डीएपी का भी प्रयोग हुआ। उन्होंने कहा कि लंबे समय से रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग से अधिकांश भूमि की उर्वरा शक्ति समाप्त हो गयी है। पौधों के कमजोर होने से उनमें अधिक बीमारी होने लगी हैं। उन्होंने कहा अब रासायनिक उर्वरक का युग समाप्त हो रहा है ।


उन्होंने कहा कि सहकारी क्षेत्र की कंपनी होने के नाते इफको कम से कम मुनाफा लेकर किसानों को सस्ते मूल्य पर उर्वरक तथा अन्य उत्पाद उपलब्ध करा रही है तथा इसके लिए आधुनिकतम प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जा रहा है । उन्होंने सहकारिता क्षेत्र की चर्चा करते हुए कहा कि यह देश के स्वरुप को बदल सकता है। सरकार ने किसानों की आय दोगुना करने की घोषणा की है और कृषि क्षेत्र में सहकारिता के माध्यम से व्यापक बदलाव लाया जा सकता है । 

श्री अवस्थी ने कहा कि सहकारिता में सरकारी हस्तक्षेप और अफसरशाही के कारण भ्रष्टाचार और दूसरी खामियां आयी जिसका लाभ राजनीतिक दलों के नेताओं ने उठाया । इसके कारण सहकारी समितियों के सदस्य अपने अधिकारों से वंचित हुए ।

उन्होंने कहा कि देश में अनेक सुधार कार्य हुए हैं और कई प्रकार के बदलाव भी हुए हैं। उन्होंने कहा,“ हमें विश्वास है कि सहकारिता क्षेत्र में भी बड़ा बदलाव आयेगा जिससे लोग समृद्ध होंगे।”

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