लखनऊ, 17 जनवरी(वार्ता)उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा है जन प्रतिनिधी संसदीय परंपराओं का इस प्रकार प्रयोग करें जिससे विकासात्मक कार्य और जन कल्याण सुनिश्चित हो सके।
श्रीमती पटेल ने शुक्रवार को यहां राष्ट्रमंडल संसदीय संघ भारत क्षेत्र के दो दिवसीय सातवें सम्मेलन का समापन समारोह को संबोधित करते हुये कहा कि विगत कुछ वर्षों के दौरान विधानमंडलों के कार्य के स्वरूप में बदलाव हुए हैं। विधानमंडल न केवल विधि निर्माण का कार्य कर रहे हैं बल्कि आर्थिक और सामाजिक परिवर्तन के क्षेत्र में भी अग्रणी हैं।
उन्होंने कहा कि जन प्रतिनिधी संसदीय परंपराओं का इस प्रकार प्रयोग करें जिससे विकासात्मक कार्य और जन कल्याण सुनिश्चित हो सके।
उन्होंने कहा कि विधायी निकायों के सदस्यों के रूप में जन प्रतिनिधियों की भूमिका भी बदल गई हैं। सभा के भीतर और बाहर जन प्रतिनिधियों द्वारा किए जाने वाले कार्यों के आधार पर उनका मूल्यांकन किया जाता है। सामाजिक समस्याओं को समझने और विधानमंडलों तथा संसद के माध्यम से उनके समाधान में प्रमुख भूमिका निभाए जाने की अपेक्षा की जाती है।
परिचर्चाओं में सक्रिय एवं सार्थक रूप से भाग लेने के लिए प्रतिनिधियों को धन्यवाद देते हुए, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने समापन संबोधन में कहा कि इस प्रकार विचारों और अनुभवों को साझा किए जाने से विधानमंडलों के समक्ष आ रही चुनौतियों से निपटकर लोकतंत्र को मजबूत बनाने में मदद मिलती है। उन्होंने कहा कि विधायी संस्थाएं आम लोगों के सरोकारों, उनकी आशाओं और आकांक्षाओं को मुखरित किए जाने के विश्वसनीय मंच होते हैं, जिन्हें सभा में जन प्रतिनिधियों द्वारा प्रभावी ढंग से उठाया जाना चाहिए।
सम्मेलन के पहले पूर्ण सत्र 'बजट प्रस्तावों की संवीक्षा के लिए जन प्रतिनिधियों की क्षमता बढ़ाना' का उल्लेख करते हुए, उन्होंने कहा कि विधानमंडलों को कार्यपालिका की वित्तीय जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए एक सजग प्रहरी की तरह कार्य करना चाहिए। इसके लिए, यह आवश्यक है कि जन प्रतिनिधियों को वित्तीय शब्दावली और बजटीय प्रक्रियाओं की बेहतर समझ हो।
श्री बिरला ने बजटीय प्रक्रिया की बारीकियों को समझने के लिए जनप्रतिनिधियों की क्षमता को बढ़ाने के लिए अनुभवी सांसदों और पदाधिकारियों की टीम को भेजने का प्रस्ताव रखा। 'जन प्रतिनिधियों का ध्यान विधायी कार्यों की ओर बढ़ाना' संबंधी दूसरे पूर्ण सत्र के बारे में, श्री बिरला ने कहा कि जनप्रतिनिधियों को उपलब्ध सभी प्रक्रियात्मक साधनों का प्रभावी रूप से इस्तेमाल करना चाहिए।
गौरतलब है कि 'जन प्रतिनिधियों की भूमिका ' विषय पर गुरूवार से शुरू हुये राष्ट्रमंडल संसदीय संघ भारत क्षेत्र के दो दिवसीय सातवेवें सम्मेलन का आज समापन हुआ। सम्मेलन में भारत केंद्र शाखा (भारत की संसद) और राज्य/संघ राज्य क्षेत्र शाखाओं से 35 डेलिगेट्स ने भाग लिया। साथ ही, आस्टेलिया और दक्षिण पूर्व एशिया सी पी ए रीजन के प्रतिनिधियो ने भी भाग लिया। इसके अलावा, इन दो दिनों के सम्मेलन में उत्तर प्रदेश विधान सभा और विधान परिषद के लगभग 270 विधायक मौजूद रहे।
भंडारी
वार्ता