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प्रेम दुनिया में शांति और सद्भावना की कुंजी हैः दलाईलामा

प्रेम दुनिया में शांति और सद्भावना की कुंजी हैः दलाईलामा

शिमला, 05 मई (वार्ता) तिब्बती धर्म व अध्यात्मिक गुरु दलाईलामा ने भगवान बुद्ध के जन्म, ज्ञान प्राप्ति और महापरिनिर्वाण के शुभ अवसर पर दुनिया भर में बसे बौद्ध अनुयायियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि मैं अपने आध्यात्मिक भाइयों और बहनों से आग्रह करता हूं कि वे सार्थक जीवन व्यतीत करें और दूसरों के कल्याण के लिए समर्पित रहें। प्रेम दुनिया में शांति और सद्भावना की कुंजी है।

उन्होंने कहा कि बोधगया में भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। ज्ञान प्राप्ति के बाद बुद्ध ने यहीं पर चार आर्य सत्यों, निर्वाण तक पहुंचने के 37 खंडों और मानव कल्याण के लिए जरूरी ज्ञान की अन्य अवस्थाएं बताई थीं। बुद्ध की शिक्षाओं के केंद्र में दया और प्रज्ञा दोनों का ही एक साथ अभ्यास जरूरी बताया गया है। निर्वाण प्राप्ति के लिए परोपकार की भावना यानी बोद्धिचित्त का अभ्यास ही महात्मा बुद्ध की शिक्षाओं का सार है।

जितना अधिक हम दूसरों की भलाई के प्रति संवेदनशील होंगे, उतना अधिक ही दूसरे हमारे लिए प्रिय बनेंगे। इससे हम दूसरों पर अपनी निर्भरता को पहचान सकेंगे और हमें हमेशा याद रहेगा कि दुनिया के आठ बिलियन लोग खुशी प्राप्त करने और दुख से दूर रहने की कामना कर रहे हैं। दलाईलामा ने कहा कि इस विशेष अवसर पर मैं अपने आध्यात्मिक भाइयों और बहनों से आग्रह करता हूं कि वे सार्थक जीवन व्यतीत करें और दूसरों के कल्याण के लिए समर्पित रहें। प्रेम दुनिया में शांति और सद्भावना की कुंजी है।

सं.संजय

वार्ता

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