राज्य » गुजरात / महाराष्ट्रPosted at: Jan 28 2019 9:08PM मराठा अारक्षण: सरकार याचिकाकर्ता को अायोग रिपोर्ट की प्रति सौंपे
मुंबई, 28 जनवरी (वार्ता) बंबई उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार को मराठा आरक्षण के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाकर्ताओं को इस मामले में पिछड़ा वर्ग आयोग की सम्पूर्ण रिपोर्ट की प्रति मुहैया कराने का सोमवार को आदेश दिया। मामले की अगली सुनवाई छह फरवरी को होगी।
न्यायमूर्ति रंजीत मोरे और न्यायमूर्ति भारती डांगरे ने सरकार की इस आशंका को दरकिनार कर दिया कि रिपोर्ट के कुछ अंशों से साम्प्रदायिक तनाव और कानून-व्यवस्था की समस्या पैदा हो सकती है। न्यायालय ने कहा,“ इसमें कुछ भी चिंताजनक नहीं है।” साथ ही न्यायालय ने सरकार को 29 जनवरी तक याचिकाकर्ताओं को आयोग की रिपोर्ट की प्रति सौंपने का भी आदेश दिया।
इससे पहले महाराष्ट्र के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोनी ने न्यायालय को बताया कि राज्य सरकार कोर्ट को पूरी रिपोर्ट देने को तैयार है लेकिन वह याचिकाकर्ताओं को संक्षिप्त रिपोर्ट मुहैया कराएगा क्योंकि उसे लगता है कि पूरी रिपोर्ट देने से साम्प्रदायिक तनाव या कानून-व्यवस्था की समस्या पैदा हो सकती है। सरकार ने पिछले सप्ताह पीठ को पूरी रिपोर्ट मुहैया कराई थी।
न्यायमूर्ति मोरे ने कहा,“ हमने पूरी रिपोर्ट पढ़ ली है। हमें लगता है कि याचिकाकर्ताओं को बिना कुछ हटाये या छिपाये सब कुछ मुहैया कराया जाना चाहिए। इसमें कुछ भी चिंता की बात नहीं है।” पीठ ने उसके बाद सरकार को आदेश दिया कि वह याचिकाकर्ताओं को मंगलवार को पूरी रिपोर्ट की प्रतियां दे। न्यायालय ने कहा कि वह याचिकाओं की अंतिम सुनवाई छह फरवरी को शुरू करेगी।
गौरतलब है कि कुछ याचिकाकर्ताओं ने मराठा समुदाय को सरकारी नौकरियों एवं शैक्षणिक संस्थाओं में 16 प्रतिशत आरक्षण मुहैया कराने के सरकार के आदेश को चुनौती दी थी और कुछ याचिकाएं इसके समर्थन में दायर हुई हैं। सरकार ने इस महीने की शुरुआत में शपथपत्र दायर करके अपने निर्णय को सही ठहराते हुए कहा था कि इस फैसले का लक्ष्य समुदाय को सामाजिक एवं आर्थिक पिछड़ेपन से ऊपर उठाना है।
राज्य की करीब 30 प्रतिशत जनसंख्या राजनीतिक रूप से प्रभावशाली मराठा समुदाय से संबंधित है। यह समुदाय नौकरियों एवं शिक्षा में आरक्षण की मांग करता रहा है।
इस संबंध में पिछड़ा वर्ग आयोग ने मराठा आरक्षण के मामले पर संपूर्ण रिपोर्ट नवंबर 2018 में जमा कराई थी। राज्य विधानसभा ने रिपोर्ट के आधार पर मराठा समुदाय के लिए सरकारी नौकरियों एवं शिक्षा में 16 प्रतिशत आरक्षण का प्रस्ताव रखते हुए 30 नवंबर को विधेयक पारित किया था। इसके बाद आरक्षण को चुनौती देने के लिए कोर्ट में कई याचिकायें दायर की गयीं थीं और याचिकाकर्ताओं ने पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट की प्रति मांगी थी।
संजय.श्रवण
वार्ता