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विक्रमशिला महाविहार का समग्र विकास चाहते थे प्रणव

भागलपुर, 31 अगस्त (वार्ता) भारत रत्न पूर्व राष्ट्रपति, प्रकांड विद्वान एवं भारतीय सभ्यता-संस्कृति के मनीषी प्रणव मुखर्जी पालवंश कालीन विक्रमशिला महाविहार के समग्र विकास के साथ ही उसके पुरातात्विक महत्व और गौरव को एक बार फिर पूरी दुनिया में स्थापित करने की इच्छा लिए ही आज दुनिया से रुख्सत हो गए।
श्री मुखर्जी भागलपुर जिले के कहलगांव प्रखंड के अंतीचक गांव में राष्ट्रपति के रूप में 03 अप्रैल,2017 को विक्रमशिला महाविहार देखने आये थे। बाद में एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा था कि उनकी इच्छा थी कि प्राचीन भारत के प्रमुख शिक्षा केंद्र रहे विक्रमशिला महाविहार का समग्र विकास हो और उसके पुरातात्विक महत्व को दूर-दूर तक फैलाया जाय। इसके लिए उन्होंने केन्द्र सरकार से पहल कराने की बात कही थी । संभवतः कहलगांव जैसे सुदूर क्षेत्र में किसी राष्ट्रपति के आने का पहला मौका था।
पूर्व राष्ट्रपति ने विक्रमशिला महाविहार के भ्रमण के दौरान इसकी गरिमापूर्ण एवं पुरातात्विक इतिहास की जानकारी ली तथा उत्खनन मे मिले दुर्लभ कृतियों को देखकर वह गदगद हो गए थे। संग्रहालय में संजोकर रखे गई प्रचीन कलाकृतियों की महत्ता को जान कर आश्चर्यचकित हुए लेकिन इस स्थल की मौजूदा स्थिति पर गौर करते हुए चिंता भी जताई थी।
श्री मुखर्जी ने भ्रमण के बाद उनके सम्मान में आयोजित समारोह में उपस्थित स्थानीय लोगों को संबोधित करते हुए कहा था कि विक्रमशिला महाविहार बहुत ही सुंदर स्थल है, यहां पर आने से मन प्रफुल्लित हो गया है। इसकी शैक्षणिक एवं पुरातात्विक गाथा से आने वाली पीढ़ी को ऊर्जा मिलेगी।
पूर्व राष्ट्रपति ने कहा था कि इस स्थल की महत्ता के अनुरूप इसका अपेक्षित विकास नहीं हो पाया है। उन्होंने कहा, “मेरी पूरी इच्छा है कि विक्रमशिला को विकसित किया जाए और इसके लिए मैं दिल्ली जाकर केंद्र सरकार से बात भी करुंगा।” इस दौरान बिहार के तत्कालीन राज्यपाल रामनाथ कोविंद भी उपस्थित थे, जो वर्तमान में देश के राष्ट्रपति हैं।
अफसोस कि श्री मुखर्जी की इच्छा के अनुरूप विक्रमशिला महाविहार को विकसित करने का काम उनके रहते शुरू नहीं हो सका। आज भले ही वह हमलोगों के बीच से चले गए हैं लेकिन प्राचीन भारत के गौरव विक्रमशिला के विकास के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को भुलाया नहीं जा सकता है।
सं सूरज शिवा
वार्ता
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