राज्य » बिहार / झारखण्डPosted at: Mar 27 2021 5:12PM होली पर प्राकृतिक रंगों की ओर लोगों का बढ़ रहा रुझानचतरा, 27 मार्च (वार्ता) रंगो के उत्सव ‘होली’ में फूलों से प्राकृतिक रंग बनाने की शिथिल पड़ गई परंपरा के प्रति एक बार फिर से लोगों का रुझान बढ़ता दिख रहा है। होली के आगमन को लेकर पूरे देश में तैयारियां शुरू हो चुकी है। प्रकृति ने इसकी तैयारी वसंत ऋतु के आगमन के साथ ही कर ली है। चतरा जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित सिमरिया प्रखंड के जंगलों में खिलखिला रहे पलाश के मादक फूल बरबस ही लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं और जंगलों का भीतरी वातावरण इन दिनों ऐसा लग रहा है मानो पेड़ में किसी ने दहकते अंगारे लगा रखे हों। आमतौर पर वसंत ऋतु के समय ये केसरिया रंग के फूल खिलने लगते हैं और होली के आसपास जहां इन फूलों की रंगिनियत चरम पर आकर इठलाते हुए जंगल की खूबसूरती में चार चांद लगा रहे हैं वहीं वीरान जंगल में यह अग्नि की दहक का भी आभास कराते हैं। सामाजिक कार्यकर्ता सुशांत पाठक बताते हैं कि विगत कई वर्षों से इन फूलों से प्राकृतिक रंग बनाने की शिथिल पड़ गई परंपरा के प्रति एक बार फिर से लोगों का रुझान बढ़ता दिख रहा है और इसके औषधीय गुणों को लोग समझने लगे हैं। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के दहशत के कारण होली पर लोग केमिकल युक्त रंग-गुलाल खेलने से परहेज के कारण पलाश के फूल की डिमांड बढ़ रही है। सतीशजारी वार्ता