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रियल एस्टेट बाजार को लेकर धारणा मजबूत : नाइट फ्रैंक-नरेडको रिपोर्ट

मुंबई, 24 जनवरी (वार्ता) नाइट फ्रैंक-नरेडको की मंगलवार को जारी एक ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि भू-राजनैतिक जोखिम और घरेलू ब्याज दरों में वृद्धि के बावजूद घरेलू रियल एस्टेट बाजार में कुल मिला कर आशावाद मजबूत बना हुआ है।
बाजार के भविष्य को लेकर डेवलपर की अवधारणा सुधरी है पर गैर-डेवलपर (बैंक आदि) विकसित देशों में मंदी गहराने के अनुमानों के चलते रियल एस्टेट क्षेत्र के लिए कर्ज की चुनौतियों को लेकर सतर्क हैं।
नाइट फ्रैंक-नरेडको के चौथी तिमाही (अक्टूबर - दिसंबर 2022) के रियल एस्टेट क्षेत्र आशावाद सूचकांक के अनुसार भारतीय रियल एस्टेट की स्थिति को लेकर वर्तमान धारणा चौथी तिमाही में नरम हुई है पर (तीसरी तिमाही के बाद) अगले छह महीनों (मार्च 2023) की स्थिति को ले कर आशावाद का सूचकांक बढ़ा है।
रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान आशावाद सूचकांक 2022 की तीसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर, 2022) में 61 था जो घट कर चौथी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर, 2022 में 59 पर आ गया। सूचकांक का 50 से ऊपर रहना वृद्धि को लेकर आशावाद का प्रतीक है।
रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान आशावाद सूचकांक में इस नरमी का मुख्य कारण लंबे समय से चल रहे रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण धूमिल वैश्विक आर्थिक परिदृश्य और भू-राजनीतिक जोखिम है। हालांकि, भारतीय अर्थव्यवस्था और रियल एस्टेट उद्योग के निरंतर मजबूत बने रहने से भविष्य को लेकर आशावाद के सूचकांक में सुधार है। अगले छह माह को लेकर व्याप्त धारणा को प्रतिबिम्बित करने वाला भविष्या का आशावाद सूचकांक 2022 की तीसरी तिमाही के 57 अंक से बढ़कर चौथी तिमाही में 58 हो गया है।
इसी तरह आगामी छह महीनों (मार्च 2023 तक) के बारे में डेवलपर का भविष्य को लेकर आशावाद का सूचकांक बाजार की उम्मीदों का प्रतिनिधित्व करते हुए, तीसरी तिमाही के 53 अंक से बढ़कर चौथी तिमाही में 62 हो गया है।
रिजर्व बैंकी नितिगत रेपो दरों में 2.25 प्रतिशत की बढ़ोतरी के कारण बढ़ते आवास ऋण महंगा होने के बावजूद आवासीय बिक्री में निरंतर गति ने अगले छह महीनों के लिए डेवलपर समुदाय की आशा को बढ़ावा दिया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि आवासीय संपत्ति वर्ग की अंतर्निहित मांग डेवलपर इकाइयों के आत्मविश्वास को सहारा देती है। इसके साथ साथ बैंक एवं वित्तीय संस्थान जैसे गैर-डेवलपर हितधारकों की सोच अगले छह माह को लेकर काफी हद तक सकारात्मक है लेकिन वे चाहते हैं कि बाजार को लेकर सतर्क रहने की जरूरत है।
गैर-डेवलपर (इस खंड में बैंक, वित्तीय संस्थान, पीई फंड शामिल हैं) की भविष्य की अवधारणा का सूचकांक तीसरी तिमाही में 60 से घटकर चौथी तिमाही में 55 हो गया।
उनका मानना है कि विश्व की प्रमुख विकसित अर्थव्यवस्थाओं में मंदी का मंडराता खतरा और उच्च ब्याज दर शासन निवेश के माहौल को प्रभावित कर सकता है और भारतीय व्यवसायों के लिए धन जुटाना चुनौतीपूर्ण बना सकता है।
मनोहर अशोक
वार्ता
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