राज्य » गुजरात / महाराष्ट्रPosted at: Jun 1 2019 1:44PM वर्ष 1970 में राजकपूर ने फिल्म “मेरा नाम जोकर” का निर्माण किया जो बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह नकार दी गयी। अपनी फिल्म मेरा नाम जोकर की असफलता से राजकपूर को गहरा सदमा पहुंचा। उन्हें काफी आर्थिक नुकसान भी हुयी। उन्होंने निश्चय किया कि भविष्य में यदि वह फिल्म का निर्माण करेंगे तो मुख्य अभिनेता के रूप में काम नहीं करेंगे। मुकेश को यदि राजकपूर की आवाज कहा जाये तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। मुकेश ने राजकपूर अभिनीत सभी फिल्मों में उनके लिये पार्श्वगायन किया। उनकी मौत के बाद राजकपूर ने कहा था “लगता है मेरी आवाज ही चली गयी है।” राजकपूर को अपने सिने करियर में मानसम्मान खूब मिला। वर्ष 1971 में राजकपूर पद्मभूषण पुरस्कार और वर्ष 1987 में हिंदी फिल्म जगत के सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फाल्के पुरस्कार से भी सम्मानित किये गये। बतौर अभिनेता उन्हें दो बार, बतौर निर्देशक उन्हें चार बार फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वर्ष 1985 में राजकपूर निर्देशित अंतिम फिल्म ‘राम तेरी गंगा मैली’ प्रदर्शित हुयी। इसके बाद राजकपूर अपने महात्वाकांक्षी फिल्म “हिना” के निर्माण में व्यस्त हो गये लेकिन उनका सपना साकार नहीं हुआ और दो जून 1988 को वह इस दुनिया को अलविदा कह गये।प्रेम, उप्रेतीवार्ता