राज्य » गुजरात / महाराष्ट्रPosted at: Jul 26 2019 8:28PM नवलखा के खिलाफ सबूतों की जांच की जरूरत: हाईकोर्टमुंबई 26 जुलाई (वार्ता) बम्बई उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि नागरिक स्वतंत्रता कार्यकर्ता गौतम नवलखा के खिलाफ सबूतों की जांच करने की जरूरत है। न्यायाधीश रंजीत मोरे और भारती डांगरे की खंडपीठ के समक्ष नवलखा ने याचिका पेश कर उनके खिलाफ पुणे पुलिस के मामले को खत्म करने की गुहार लगायी। गौरतलब है कि 31 दिसंबर 2017 को एल्गार परिषद की बैठक हुयी थी और दूसरे दिन पुणे के कोरेगांव भीमा में हिंसा फैल गयी थी। राज्य की ओर से इस याचिका का विरोध करते हुए कहा गया कि याचिकाकर्ता का संपर्क माओवादियों और आतंकवादियों से था इसलिए इस मामले की गहनता से जांच करने की जरूरत है। सरकारी वकील अरूणा पयी ने भी जिरह करते हुए कहा आरोपी के खिलाफ मजबूत साक्ष्य हैं। आरोपी नवलखा ने विरोध करते हुए कहा कि वह अन्वेषण और अपनी पुस्तक के संबंध में नक्सलियों के संपर्क में थे। उन्होंने कहा कि सिर्फ इस बात के लिए उनके खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम कानून लगाया जा सकता है। पुलिस ने नवलखा और चार अन्य को माओवादियों से संपर्क रखने का आरोपी बनाया था। नवलखा के वकील युग चौधरी ने अदालत को बताया कि आरोपी एक लेखक, शांति कार्यकता, संघर्ष क्षेत्र के विशेषज्ञ हैं। अर्थशास्त्र में नोबल पुरस्कार से सम्मानित अमर्त्यसेन ने भी उनकी पुस्तक की सराहना की थी। अधिवक्ता चौधरी ने कहा कि पूर्व में जब नक्सलियों ने छह पुलिस कर्मचारियों का अपहरण किया लिया था तब केन्द्र सरकार ने नवलखा को मध्यस्थ बनाया था। वे नक्सलियों के संपर्क में थे सिर्फ अपनी पुस्तक और अन्य खोजों के लिए। उन्होंने कि उनके मुवक्किल पर सरकार और नक्सलियों दोनो की ओर से हमले होते हैं। त्रिपाठी, उप्रेतीवार्ता