राज्य » गुजरात / महाराष्ट्रPosted at: Mar 14 2020 12:14PM 14 मार्च को प्रदर्शित हुयी थी पहली बोलती फिल्म आलम आरामुंबई 14 मार्च (वार्ता) 14 मार्च 1931 में मुंबई के मैजिस्टीक सिनेमा हॉल के बाहर दर्शकों की काफी भीड़ जमा थी। टिकट खिड़की पर दर्शक टिकट लेने के लिये मारामारी करने पर आमदा थे। चार आने के टिकट के लिये दर्शक चार . पांच रूपये देने के लिये तैयार थे। इसी तरह का नजारा लगभग 18 वर्ष पहले दादा साहब फाल्के की फिल्म ‘राजा हरिशचंद्र’ के प्रीमियर के दौरान भी हुआ था। लेकिन आज बात ही कुछ और थी। सिने दर्शक पहली बार रूपहले पर्दे पर सिने कलाकारों को बोलते सुनते देखने वाले थे। सिनेमा हॉल के गेट पर फिल्मकार आर्देशिर इरानी दर्शकों का स्वागत करके उन्हें अंदर जाकर सिनेमा देखने का निमंत्रण दे रहे थे। वह केवल इस बात पर खुश थे कि उन्होंने भारत की पहली बोलती फिल्म आलम आरा का निर्माण किया है लेकिन तब उन्हें भी पता नहीं था कि उन्होंने एक इतिहास रच दिया है और सिने प्रेमी उन्हें सदा के लिये बोलती फिल्म के जन्मदाता के रूप में याद करते रहेंगे। फिल्म आलम आरा की रजत जंयती पर फिल्म जगत में जब उन्हें पहली बोलती फिल्म के जन्मदाता के रूप में सम्मानित किया गया तो उन्होंने कहा, “ मैं नहीं समझता कि पहली भारतीय बोलती फिल्म के लिये मुझे सम्मानित करने की जरूरत है। मैंने वही किया जो मुझे अपने राष्ट्र के लिये करना चाहिये था। फिल्म के निर्माण में लगभग 40,000 रूपये खर्च हुये जो उन दिनों काफी बड़ी रकम समझी जाती थी।”प्रेम, रविवार्ता