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चुनाव सीटें नजर मप्र दो अंतिम भोपाल

प्रदेश की औद्योगिक राजधानी इंदौर की यूं तो सभी सीटें दोनों ही दलों के लिए अहम हैं, लेकिन इंदौर-तीन पर इस बार सबकी विशेष तौर पर नजर है। यहां से भाजपा ने पार्टी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश विजयवर्गीय को प्रत्याशी बनाया है। वे कांग्रेस के कद्दावर नेता अश्विन जोशी का मुकाबला कर रहे हैं। श्री विजयवर्गीय स्वयं महू सीट से विधायक थे, लेकिन इस बार उन्होंने अपनी दावेदारी छोड़ दी। भाजपा ने महू से पार्टी की प्रदेश उपाध्यक्ष ऊषा ठाकुर को चुनावी रण में उतारा है।
भोपाल की गोविंदपुरा सीट भी भाजपा के लिए लंबे समय तक कशमकश बनी रहने के चलते सबके निशाने पर है। भाजपा का गढ़ मानी जाने वाली इस सीट से इस बार पार्टी ने पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर की बहू कृष्णा गौर को दावेदार बनाया है। कांग्रेस ने भी इस क्षेत्र में सक्रिय रहे गिरीश शर्मा को श्रीमती गौर का मुकाबला करने की जिम्मेदारी सौंपी है। अब तक इस सीट से श्री गौर स्वयं विधायक थे। करीब दो साल पहले मंत्री पद से हटाए गए श्री गौर का इस बार यहां से टिकट कटने की अटकलें सामने आने के बाद श्री गौर ने अपनी बहू को टिकट नहीं देने की स्थिति में निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर सनसनी फैला दी थी। लंबी कशमकश के बाद पार्टी ने इस सीट से श्रीमती गौर को प्रत्याशी बनाया।
प्रदेश के पूर्व मंत्री रामकृष्ण कुसमारिया दमोह से प्रदेश के कद्दावर मंत्री जयंत मलैया के मुकाबले ताल ठोक रहे हैं। श्री कुसमारिया पार्टी से लगातार टिकट की मांग कर रहे थे, लेकिन उन्हें टिकट नहीं दिया गया, जिसके बाद उन्होंने दमोह और पथरिया से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन भरा है।
रायसेन जिले की भोजपुर भी इस बार चुनावी राजनीति के नजरिए से 'हॉट' बनी हुई है। यहां प्रदेश सरकार के मंत्री सुरेंद्र पटवा का मुकाबला पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी से हो रहा है।
कटनी की विजयराघवगढ भी ऐसी ही सीटों में शामिल है। ये प्रदेश की एकमात्र ऐसी सीट है, जिस पर मुख्य प्रतिस्पर्धा वाले दोनों प्रत्याशी वहीं हैं, जो वर्ष 2013 के चुनाव में थे। हालांकि दोनों के दल अब बदल गए हैं। भाजपा ने इस बार यहां से मंत्री संजय पाठक को और कांग्रेस ने पद्मा शुक्ला को मैदान में उतारा है। जबकि पिछले चुनाव में श्री पाठक ने यहां से कांग्रेस के चुनाव चिह्न पर और श्रीमती शुक्ला ने भाजपा के कमल निशान पर चुनाव लड़ा था।
मध्यप्रदेश में 28 नवंबर को मतदान होना है। नतीजे 11 दिसंबर को आएंगे।
गरिमा प्रशांत
वार्ता
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