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आदिवासियों को मिले जल जंगल जमीन का अधिकार

बीजापुर, 30 जनवरी (वार्ता) छत्तीसगढ़ में नक्सलियों ने एक बार फिर आदिवासियों को जल जंगल जमीन का अधिकार दिये जाने की मांग रखी है। नक्सली शिक्षाकर्मियों के संविलियन के लिए भी सामने आए है। अब नक्सली अंदरूनी इलाकों में बेहतर शिक्षा स्वास्थ्य आवास एवं वन उपज की सही कीमत दिए जाने की मांग कर रहे है।
पामेड़ एरिया कमेटी माओवादी संगठन द्वारा जारी पत्र में कई ऐसे मांगे रखी गई है। खासकर महिलाओं, शिक्षाकर्मियों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की मांगों को पूरा करने की बात लिखी गई है। इसके अलावा छात्रावास स्कूलों में हर प्रकार की सुविधा उपलब्ध कराने, ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ाने, महिला सशक्तिकरण,बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ आश्रम, स्कूल, अस्पताल खोले जाने, गुरूजी, डॉक्टरों की नियुक्ति, बेरोजगारों को रोजगार देने,किसानों का कर्ज माफी,फसलों का बोनस सहित पेंशन दिए जाने की मांग रखी गई है,इसके अलावा जेलों में सालों से बंद राजनीतिक बंदियों को बिना शर्त रिहाई, फर्जी मुठभेड़, गिरतारियों की न्यायिक जांच की मांग पामेड़ एरिया कमेटी ने पत्र के माध्यम से रखी है।
बीजापुर पुलिस अधीक्षक मोहित गर्ग ने कहा कि वे सच में अगर इलाके और यहां के लोगों का विकास चाहते हैं, तो सरेंडर करें। उन्होंने कहा कि फिर वे और सरकार मिलकर अदरूनी इलाकों तक विकास की गंगा बहाएंगे। नक्सलियों ने विकास की मांग की है लेकिन अब भी उनका तरीका बेहद गलत है। अगर वे सच में विकास चाहते हैं तो वे आत्मसमर्पण कर मुयधारा में जुड़ें और सरकार के साथ मिलकर काम करें।
उन्होंने कहा कि पिछले दो से तीन साल में नक्सलियों का काफी नुकसान हुआ है। न सिर्फ सुरक्षाबलों द्वारा बल्कि नक्सलियों को यहां के लोगों ने भी नकारा है नक्सली सहानुभूति के लिए और नई भर्ती के लिए ऐसा कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि लोग नक्सलियों के बहकावे में न आएं। नक्सली अगर सच में विकास चाहते हैं तो समर्पण कर मुयधारा में आएं।
विदित हो कि 1992 में तत्कालीन कलेक्टर जे.पी. व्यास जब अबूझमाड़ के दौरे पर थे, नक्सलियों ने घेरकर चिकित्सक, नर्स और शिक्षकों की मांग की थी। सरकार ने इस मांग को शीघ्र ही पूरा किया।
करीम नाग
वार्ता
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