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घरों के आसपास अब नजर नहीं आते परिंदे

बिलासपुर, 05 जून (वार्ता) आधुनिक जीवन शैली के पर्याय बने मोबाइल फोन के लिए लगे टावरों से निकलते रेडिएशन और भारी प्रदूषण तथा शिकार की वजह से परिंदों की संख्या घटने के कारण अब ये घरों के आसपास नजर नहीं आते।
विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर पर्यावरण के साथ ही पक्षियों के प्रति चिंता जताने और योजनाकारों एवं प्रशासन का ध्यान आकर्षित करने के लिए प्रसिद्ध कोलाज कलाकार एवं पत्रकार वी वी रमण किरण ने बुधवार को यहां नेहरू चौक पर एक दिवसीय सांकेतिक धरना दिया। इस मौके पर शहर के पत्रकारों के साथ ही बुद्धिजीवियों और कई राजनेता भी मौजूद रहे।
प्रकृति प्रेमी रमन किरण का कहना है कि बिलासपुर के पास बेलमुंडी में एक समय पक्षियों का स्वाभाविक बसेरा हुआ करता था, जहां हर वर्ष प्रवासी पक्षी बड़ी संख्या में आया करते थे। पक्षियों का कलरव सुनने और करतब देखने लोगों की भीड़ जुटा करती थी। यह नज़ारे जीवन में रस घोला करते थे, लेकिन अब बेलमुंडी में प्रवासी पक्षी नहीं आते, क्योंकि यहां प्रकृति के साथ की गयी छेड़छाड़ से परिंदे रूठ गए हैं।
उन्होंने कहा कि बेलमुंडी क्षेत्र में अवैध उत्खनन से जल स्रोत सूख चुके हैं। जिन लंबी-लंबी घासों की वजह से गुलाबी मैना आया करती थी, उन्हें भी क्षति पहुंचाया गया है। प्रशासन को परिंदों के प्राकृतिक निवास से कोई सरोकार नहीं है, इसलिए इस दिशा में ध्यान खींचने धरना दिया। उन्होंने प्रशासन से अपील की है कि पक्षियों के प्राकृतिक आवास को सहेजने की दिशा में माकूल कदम उठाया जाए ताकि बेलमुंडी में प्रवासी पक्षियों का फिर से आगमन हो और यह बर्ड सेंचुरी का आकार ले सके।
पर्यावरण प्रेमी प्रवीर भट्टाचार्य ने पक्षियों की विभिन्न प्रजातियों के धीरे-धीरे लुप्त होने पर चिंता जताते हुए कहा कि प्रकृति का असंतुलन ही सभी समस्याओं की जड़ है। शहरों को आबाद करने के लिए जंगलों को बेतहाशा काटा जा रहा है। पशु पक्षियों को दोयम दर्जे का मान कर उन्हें अपने ही माहौल से खदेड़ने का प्रयास हुआ। यही वजह है कि प्रकृति की खूबसूरती के साझेदार परिंदे अब आसपास नजर नहीं आते ।
उन्होंने कहा कि दुनिया में करीब 9,900 प्रजातियां पक्षियों की हुआ करती थी, लेकिन धीरे-धीरे पक्षियों की प्रजाति विलुप्त हो रही है। घरों के आस-पास आसानी से दिखने वाले परिंदे भी अब नजर नहीं आते।
टंडन.श्रवण
वार्ता
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