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दुष्कर्म पीड़ित गर्भवती किशाेरी के गर्भपात की अनुमति से अदालत का इंकार

जबलपुर, 06 जुलाई (वार्ता) मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने दुष्कर्म के बाद गर्भवती हुई 13 साल की एक किशोरी के 26 सप्ताह से अधिक के गर्भ के मामले में गर्भपात की अनुमति देने से ये कहते हुए इंकार कर दिया है कि इससे बच्ची की जान को खतरा पैदा हो सकता है।
भोपाल निवासी इस किशोरी की मां ने अपनी बेटी के गर्भपात की अनुमति के लिए न्यायालय में याचिका दायर की थी। न्यायाधीश विशाल घटक की एकलपीठ ने मेडिकल रिपोर्ट में पाया कि किशोरी का गर्भ 26 सप्ताह से अधिक का है। ऐसी स्थिति में गर्भपात करने में किशोरी तथा उसके गर्भ में पल रहे बच्चे दोनों को जान का खतरा है। एकलपीठ ने मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर इस याचिका को कल खारिज कर दिया।
याचिका में कहा गया था कि किशोरी दुष्कर्म के कारण गर्भवती हो गयी है। दुष्कर्म की घटना से वह पहले से ही शारीरिक तथा मानसिक रूप से पीड़ित है। उसकी उम्र बच्चे को जन्म देकर उसकी देखभाल करने की नहीं है। याचिका में मांग की गयी थी कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी एक्ट, 1971 के तहत किशोरी के गर्भपात की अनुमति प्रदान की जाये।
पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान एकलपीठ ने भोपाल मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को निर्देषित किया था कि गांधी मेडिकल काॅलेज के चार डाॅक्टरों की टीम गठित कर बच्ची की मेडिकल जांच करवाये। डाॅक्टर की टीम गर्भपात के जोखिम के बारे में भी बताए। हाईकोर्ट में पेश की गयी रिपोर्ट में बताया गया कि बच्ची का गर्भ 26 सप्ताह 6 दिन का है। ऐसी स्थिति में गर्भपात में किशोरी तथा उसके बच्चे को जान का खतरा है।
एकलपीठ ने मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर याचिका को खारिज करते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिए कि हैं कि वो किशोरी को चिकित्सा सहायता प्रदान करें। इसके अलावा उसे पौष्टिक आहार भी उपलब्ध करवा जाये।
सं गरिमा
वार्ता
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