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अति आवश्यक होने पर ही की जाए पेड़ों की कटाई

जबलपुर, 23 जुलाई (वार्ता) मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार द्वारा पेड़ों की कटाई को लेकर जारी किए गए नोटिफिकेशन पर रोक लगाने के साथ ही अति आवश्यक होने पर ही पेड़ों की कटाई के निर्देश दिए हैं। वह भी तक जब पौधरोपण के नियमों का पालन किया गया हो।
इस मामले को लेकर उच्च न्यायालय में दायर चुनौती याचिका की सुनवाई में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश आरएस झा और न्यायाधीश व्ही के शुक्ला की युगलपीठ ने मामले को गंभीरता से लेते हुए शासन के 24 सितंबर 2009 के नोटिफिकेशन पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही न्यायालय ने अवैध रूप से पेड़ों की कटाई पर रोक लगाते हुए नेशनल हाइवे अथॉरिटी व पीडब्ल्यूडी को निर्देशित किया है कि अति आवश्यक होने पर ही पेड़ काटे, उसके लिये सारे नियमों का पालन किया जाये, जिसमें एक पेड़ काटने के एवज में कितना गुना पेड़ लगाना है, उसका सख्ती से पालन हो।
इसके साथ ही न्यायालय ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिये है। युगलपीठ ने मामले की अगली सुनवाई छ: सप्ताह बाद नियत की है।
यह जनहित का मामला संजीवनी नगर गढ़ा निवासी विवेक कुमार शर्मा की ओर से दायर किया गया है। जिसमें कहा गया है कि मप्र शासन ने 24 सितंबर 2015 को एक नोटिफिकेशन जारी कर 53 प्रजातियों के वृक्षों को मप्र परागमन वन उपज नियम 2000 से हटा दिया है। जिसके तहत पीपल, बरगद, जामुन, नीम सहित अन्य महत्वपूर्ण प्रजाति के वृद्ध अब ग्राम पंचायत की अनुमति से सीधे कटने के लिये आरा मशीन तक पहुंच जाते है, इसमें वन विभाग से किसी प्रकार की अनुमति की आवश्यकता को हटा दिया गया है, जो कि अनुचित है।
सं बघेल
वार्ता
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