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स्वच्छता का कार्य प्यार से हो, घृणा से नहीं

भोपाल, 25 नवंबर (वार्ता) नगरों में स्वच्छता का कार्य प्यार से हो, घृणा से नहीं। अधिकारी-कर्मचारी ऐसा कार्य करें कि सेवानिवृत्ति पर सिर्फ पेंशन नहीं, अच्छे कार्यों का पुण्य भी साथ रहे।
वरिष्ठ लेखक सोपान जोशी ने अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन एवं नीति विश्लेषण संस्थान (एआईजीजीपीए) में व्याख्यान-माला 'असरदार परिवर्तन-टिकाऊ परिणाम'' में 'डूबते-सूखते हमारे नगरों का भविष्य'' पर विचार व्यक्त करते हुए यह बात कही।
आधिकारिक जानकारी के अनुसार श्री जोशी ने कहा कि अधिकारी विशेष बनने का प्रयास नहीं करें। उन्होंने कहा कि अनुसंधान में पाया गया है कि जहाँ हरियाली नहीं होती, वहाँ हिंसा अधिक होती है। उन्होंने कहा कि शहरों को चिड़िया-घर नहीं बनने दें। श्री जोशी ने कहा कि गंभीर समस्याओं का समाधान कभी भी सुविधाओं से नहीं निकलता। इनका समाधान तो दुविधा से ही मिलेगा। जल और जमीन से सीधा संबंध रखें। उन्होंने बताया कि पहले पानी के आधार पर ही गाँव बनते थे।
श्री जोशी ने बताया कि बिना पानी के जमीन का कोई मोल नहीं है। उन्होंने मैले पानी के उपचार के विभिन्न तरीकों के बारे में उदाहरण के माध्यम से जानकारी दी। उन्होंने संस्थान में प्रशिक्षणरत मुख्य नगर पालिका अधिकारियों की शंकाओं का समाधान भी किया।
अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन एवं नीति विश्लेषण संस्थान के महानिदेशक आर. परशुराम ने कहा कि शहरी विकास की स्पष्ट नीति बननी चाहिये। उन्होंने कहा कि 'असरदार परिवर्तन-टिकाऊ परिणाम'' श्रृंखला उल्लेखनीय कार्य करने वालों के अनुभव शेयर करने का एक माध्यम है।
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