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उच्च न्यायालय ने हनीट्रैप से संबंधित सामने आयी हार्डडिस्क की जांच कराने का आदेश दिया

इंदौर, 03 दिसंबर (वार्ता) मध्यप्रदेश के बहुचर्चित हनीट्रैप मामले में दायर दो जनहित याचिकाओं और तीन अन्य आवेदनों की सुनवायी करते हुये उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ ने आज एक अंतरिम आदेश जारी किया।
अतिरिक्त महाधिवक्ता कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार याचिकाकर्ता द्वारा कथित हनीट्रैप के वीडियो और ऑडियो की अदालत को बंद लिफाफे में सौंपी गयी हार्डडिस्क की जांच हैदराबाद की केंद्रीय फॉरेंसिक लैब से कराए जाने के निर्देश अदालत ने आज जारी किए।
प्रशासनिक न्यायमूर्ति एस सी शर्मा और न्यायमूर्ति शैलेंद्र शुक्ला ने हनीट्रैप मामले से जुड़ीं दो जनहित याचिकाओं और प्रकरण से जुड़े तीन प्रभावितों के आवदेन की सुनवायी कल सोमवार को की थी। इस पर आज अदालत ने अंतरिम आदेश जारी किया।
इससे पहले कल अदालत के समक्ष एक जनहित याचिका दायर करने वाले याचिकाकर्ता के अधिवक्ता मनोहर दलाल ने एक हार्डडिस्क पेश करते हुए दावा किया था कि याचिकाकर्ता को हार्डडिस्क एक स्थानीय अखबार के संपादक जितेंद्र सोनी से प्राप्त हुयी है। इस पर अदालत ने हार्डडिस्क की जांच कराए जाने के लिए इंदौर की वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रुचिवर्धन मिश्र को निर्देशित किया था।
अदालत के समक्ष शासन का पक्ष रखने के लिए उपस्थित महाधिवक्ता शशांक शेखर ने दलील दी थी कि हैदराबाद फॉरेंसिक लैब से जांच कराकर रिपोर्ट देने में 7-8 माह का समय लगेगा। महाधिवक्ता ने अदालत को बताया कि इस संबंध में हैदराबाद लैब ने ईमेल कर सूचित किया है। इस पर अदालत ने यथाशीघ्र जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश शासन को दिए हैं।
अदालत के समक्ष दो जनहित याचिकाएं दायर कर इस प्रकरण को हाईप्रोफाइल बताया गया है। इनमें कहा गया है कि चूंकि मामले में अनेक प्रभावशाली लोग जुड़े हुए हैं, इसलिए इसकी जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से करायी जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त हनीट्रैप प्रकरण के मुख्य शिकायतकर्ता हरभजनसिंह सिंह द्वारा प्रकरण की मीडिया रिपोर्टिंग पर रोक लगाने की मांग को लेकर एक आवेदन दायर किया गया है।
इसी प्रकार दो महिला आरोपियों ने भी प्रकरण से जुड़े अंतरंग वीडियो लीक किये जाने का आरोप जांच एजेंसी पर लगाते हुए वीडियो के किसी भी प्रकार के प्रसारण और प्रकाशन पर रोक लगाए जाने की मांग की है।
सं प्रशांत
वार्ता
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