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ग्रिड कनेक्टेड परियोजनाओं में 670 मेगावाट क्षमता की वृद्धि-यादव

भोपाल, 10 दिसंबर (वार्ता) मध्यप्रदेश के नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्री हर्ष यादव ने कहा कि पिछले एक वर्ष में मध्यप्रदेश में ग्रिड कनेक्टेड परियोजनाओं में 670 मेगावाट क्षमता की वृद्धि हुई है। जिसमें 645 मेगावाट की सौर परियोजनाएं एवं 25 मेगावाट क्षमता की बायोमास परियोजनाएं स्थापित की गई।
श्री यादव ने आज यहां पत्रकारों को बताया कि अगले चार वर्षों में लगभग 6 हजार मेगावाट क्षमता की नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा आधारित परियोजना और स्थापित करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। बुंदेलखण्ड और चंबल अंचल में भी नये सौर पार्क स्थापित करने की प्रकिया प्रारंभ कर दी है। सागर जिले के देवरी, बण्डा, केसली, जैसीनगर और मुरैना जिले के मुरैना, जौरा और कैलारस में ये सोर परियोजनाएं प्रारंभ होगी। इनकी कुल क्षमता लगभग 2000 मेगावाट होगी।
उन्होंने बताया कि विश्व की सबसे बड़े स्तर की 750 मेगावाट की रीवा परियोजना का पूर्णता का दो तिहाई कार्य पिछले एक वर्ष में किया गया है, 740 मेगावाट का कार्य पूर्ण कर लिया गया है। उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा सोलर रूफ टाॅप परियोजनाओं की स्थापना का कार्य वृहद रूप से किया जा रहा है। भोपाल की बड़ी झील के पास स्थित ब्रिज एवं रिटेनिंग वाॅल पर 500 किलोवाट क्षमता के सौर संयंत्र की स्थापना की गई है। इस संयंत्र केे पास कर्बला स्थित पम्प हाउस की दिन की ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति हो सकेगी। इससे प्रति वर्ष लगभग 40 लाख रूपये की बचत होगी।
उन्होंने बताया कि हमारी सरकार द्वारा प्रदेश के किसानों के लिए आगामी वर्षों में 2 लाख सोलर पंप स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है। अब तक हमने 18 हजार नग सोलर पंप की स्थापना की है। केन्द्र सरकार द्वारा दरें उपलब्ध नहीं कराए जाने से विलंब हो रहा है।
उन्होंने बताया कि राज्य शासन ने अभी तक 3 हार्स पावर के सोलर पंप पर 90 प्रतिशत अनुदान एवं 3 हार्स पावर से अधिक एवं 05 हार्स पावर से कम के पंप पर 85 प्रतिशत अनुदान देने की योजना बनाई है।
उन्होंने बताया कि प्रदेश में सोलर ऊर्जा से ई-व्हीकल चलाये जाने की योजना प्रारंभ की है। इसके लिए सोलर चार्जिंग स्टेशन स्थापित किए जा रहे है। भोपाल स्थित ऊर्जा भवन मुख्यालय में यह स्थापित किया गया है।
उन्होंने बताया कि हस्तशिल्प विकास निगम, हाथकरघा आयुक्त, खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड, रेशम संचालनालय, और मध्यप्रदेश माटीकला बोर्ड संस्थाओं के माध्यम से प्रदेश के शिल्पीयों, ग्रामीण कारीगरों और हुनरमंद कलाकारों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। उन्हें प्रशिक्षण और रोजगार के माध्यम से आर्थिक स्थिति बेहतर बनाने में सहायता दी जा रही है।
उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश के प्रत्येक जिले में मृगनयनी एम्पोरियम होगा। इस समय करीब 10 जिलों में केन्द्र हैं। इस वर्ष होशंगाबाद एवं बैतूल में मृगनयनी के नए विक्रय केन्द्र शुरू किए गए है। देश के विभिन्न प्रमुख नगरों में करीब 20 मृगनयनी केन्द्र प्रारंभ करने के प्रयास प्रारंभ हुए हैं। अन्य राज्यों में हैदराबाद (आन्ध्रप्रदेश) और केवडिया (गुजरात) एवं छत्तीसगढ के रायपुर में मृगनयनी शो-रूम शुरू किए हैं।
उन्होंने बताया कि अब देश में वैवाहिक साड़ियों के बाजार में ’’द राॅयल हैरिटेज कलेक्शन’’ के नाम से मध्यप्रदेश के बुनकरों के बनाए गये साड़ी और लहंगा वस्त्र अपना स्थान बना रहे हैं। वधु के साथ ही वर के लिए भी वैवाहिक वेशभूषा शेरवानी की उपलब्धता मृगनयनी में रहेगी। अब चंदेरी रेशम, महेश्वरी रेशम के वस्त्र मृगनयनी में वैरायटी के साथ उपलब्ध रहेंगे।
नाग
वार्ता
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