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मिर्च की अच्छी फसल से किसान उत्साहित

भोपाल, 04 मार्च (वार्ता) मध्यप्रदेश के खरगोन में इस साल मिर्च की भरपूर फसल आने से कई किसानों के लिये मिर्च तीखी नहीं मीठी साबित हुई है।
मध्यप्रदेश के खरगौन जिले के सनावद के पास एशिया की दूसरी सबसे बडी मिर्च मंडी बेड़िया में इस बार अब तक 2.71 लाख क्विंटल की आवक हो चुकी है। इसका मूल्य 202 करोड है। निमाड़ की मिर्च तीखेपन के कारण देश के भीतर और कई एशियाई देशों विशेष रूप से चीन, बांग्लादेश, श्रीलंका, वियतनाम, थाईलैंड और यूएई में भी भेजी जा रही हैं। खरगौन, धार, खंडवा, बड़वानी, अलीराजपुर जैंसे जिलों से बड़ी मात्रा में मिर्च का उत्पादन होता है। मिर्ची उत्पाद किसान निमाड़ी मिर्च की ब्रांडिग को लेकर उत्साहित हैं और मानते हैं कि इससे मिर्च बाजार में अच्छे दाम मिलेंगे।
श्री संतोष अनोक चंद्र ने इस बार पीली मिर्च लगाई है जो लाल मिर्च से ज्यादा दाम में बिकती है। उन्होंने बताया कि जामखेड़ा के 95 प्रतिशत किसान मिर्च लगाते हैं। अच्छी फसल होने पर चार से पांच लाख प्रति एकड़ तक मिल जाते हैं। इन्होंने निमाड़ी मिर्च के रूप में ब्रांडिंग करने के विचार का स्वागत करते कहा कि यह किसानों के हित में बड़ा कदम होगा।
भीकनगांव के कमलचंद रामलाल का मानना हैं कि इस बार रेट अच्छे मिलने से चार लाख प्रति एकड़ से दाम मिल जायेंगे। ज्यादातर लोगों ने माही किस्म की मिर्च लगाई है। निमाड़ क्षेत्र के हवा, पानी और मिटटी में ऐसी कुछ विशेषता है कि यहाँ उगने वाली सभी किस्म की मिर्च तीखी और सुर्ख लाल रंग की होती है। वे कहते हैं कि मिर्च तीखी होती है लेकिन अब अच्छी फसल होती है तो हमारे लिये मीठी हो जाती है।
वहीं मुंबई के मिर्च और उद्यानिकी फसलों के निर्यात से जुड़े आयुष बियानी का कहना है कि निमाड़ी मिर्ची की भौगोलिक पहचान का प्रमाण-पत्र लेना व्यापार के लिहाज से जरूरी कदम है। इससे मिर्च के व्यापार पर अच्छा असर पड़ेगा साथ ही किसानों को और भी अच्छे दाम मिलेंगे।
तीन दशकों से खरगौन और इंदौर में मिर्ची के व्यापार में सक्रिय फर्म एआर ट्रेडर्स मालिक अब्दुल रहीम का कहना है कि निमाड़ की मिर्च को भौगोलिक पहचान मिलने से बाजार में इसका मूल्य बढ़ेगा। एक ब्रांड के रूप में इसकी मांग बढ़ेगी। इसके साथ ही एक और जिम्मेदारी यह भी बढ़ जायेगी कि निमाड़ की मिर्च की गुणवत्ता को बरकरार रखना पडेगा।
खरगौन के मंडी सचिव रामवीर किरार मिर्च ने बताया कि निमाड़ की मिर्च में रंग और तीखापन दोनों ही ज्यादा होता है। मिर्च उत्पादक किसानों में मिर्च उत्पादन के आधुनिक तौर तरीकों की ओर रूझान हुआ है। बड़े किसान भी कम से कम 50 प्रतिशत हिस्से में मिर्च लगा लेते हैं। छोटे रकबे वाले किसानों के लिये तो मिर्च वरदान साबित हो रही है। फिलहाल मंडी रेट 120 - 130 रूपये प्रति किलो चल रहा है जो पिछले तीन सालों में सबसे अच्छा है।
नाग
वार्ता
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