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चैत्र मास की तृतीय को भगवान जुगुल किशाेर करते हैं सखी वेष धारण

पन्ना, 31 मार्च (वार्ता) मध्यप्रदेश में मंदिरों के शहर पन्ना में हर तीज त्यौहार बड़े ही अनूठे और निराले अंदाज में मनाया जाता है। रंगों के पर्व होली पर यहाँ के सुप्रसिद्ध भगवान जुगल किशोर मंदिर की छटा देखते ही बनती है। चैत्र मास की तृतीया को यहां भगवान श्री जुगुल किशोर सखी वेष धारण करते हैं।
भगवान के इस नयनाभिराम अलौकिक स्वरूप के दर्शन वर्ष में सिर्फ एक बार होली के बाद तृतीया को ही होते हैं। यही वजह है कि सखी वेष के दर्शन करने पन्ना के जुगुल किशोर मन्दिर में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ता है। मुरली मुकुट छीन पहनाय दियो घाघरा चोली यशोदा के लाल को दुलैया सो सजायो है। कृष्ण की भक्ति में लीन महिलायें जब ढोलक की थाप पर इस तरह के होली गीत गाते हुये गुलाल उड़ाकर नृत्य करती हैं तो पन्ना शहर में स्थित सुप्रसिद्ध श्री जुगुल किशोर मन्दिर में वृन्दावन जीवंत हो उठता है।
मन्दिरों के शहर पन्ना में स्थित श्री जुगुल किशोर का मन्दिर जन आस्था का केन्द्र है। इस भव्य और अनूठे मन्दिर में रंगों का पर्व होली वृन्दावन की तर्ज पर मनाया जाता है। कोरोना संक्रमण के चलते सोशल डिस्टेंसिंग सहित अन्य बंदिशों के बावजूद तृतीया के दिन आज बुद्धवार को इस मन्दिर की रंगत देखते ही बन रही थी। सुबह 5 बजे से ही महिला श्रद्धालुओं का सैलाब भगवान के सखी वेष को निहारने और उनके सानिद्ध में गुलाल की होली खेलने के लिये उमड़ पड़ा। ढोलक की थाप और मजीरों की सुमधुर ध्वनि के बीच महिला श्रद्धालुओं ने अपने आराध्य की भक्ति और प्रेम में लीन होकर जब होली गीत और फाग गाया तो सभी के पाँव स्वमेव थिरकने लगे।
फाग, नृत्य और गुलाल उड़ाने का यह सिलसिला सुबह से चला। यह अनूठी परम्परा श्री जुगुल किशोर मन्दिर में साढ़े तीन सौ वर्ष से भी अधिक समय से चली आ रही है, जो आज भी कायम है। इस मन्दिर के प्रथम महन्त बाबा गोविन्ददास दीक्षित के वंशज देवी दीक्षित ने जानकारी देते हुये बताया कि सखी वेष के दर्शन की परम्परा प्रथम महन्त के समय ही
शुरू हुई थी। ऐसी मान्यता है कि चार धामों की यात्रा श्री जुगुल किशोर के दर्शन बिना अधूरी है।
परम्परा के अनुसार पन्ना के श्री जुगुल किशोर मन्दिर में चैत्र मास की तृतीया को गुलाल का ही प्रसाद श्रद्धालुओं को मिलता है। सखी वेष में भगवान जुगुल किशोर और मुरली मुकुट धारण किये राधिका के अलौकिक स्वरूप को निहारने जब महिला श्रद्धालु मन्दिर पहुँचती हैं तो उनका सत्कार गुलाल से ही होता है। आज के दिन सुबह 5 बजे से 11 बजे तक मन्दिर के भीतर सिर्फ महिला श्रद्धालुओं को प्रवेश मिलता है। जहां महिलायें एक दूसरे को गुलाल लगाकर पूरे भक्ति भाव के साथ फाग और होली गीत गाती हैं।
पूरा मन्दिर आज गुलाल के रंग में सराबोर नजर आता है। यहां पर रंगों के पर्व होली की पूरे पांच दिनों तक धूम रहती है। दूर दूर से आने वाले श्रद्धालुु यह गीत गुनगुनाते हुये पन्ना के जुगुल किशोर मुरलिया में हीरा जड़े हैं। होली का उत्सव मनाते हैं।
सं बघेल
वार्ता
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