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हाईकोर्ट ने सरकार से कोराना व्यवस्था मामले में जवाब मांगा

जबलपुर, 15 अप्रैल (वार्ता) मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने प्रदेश में बढ़ते कोरोना संक्रमण के प्रकोप बढ़ते मामले में दायर याचिकाओं पर आज सुनवायी करते हुए प्रदेश सरकार से चौबीस घंटों में लिखित जवाब मांगा है।

हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक तथा जस्टिस अतुल श्रीधरन की युगलपीठ ने अवकाश होने के बावजूद कोरोना संबंधित याचिकाओं की सुनवाई की। सुनवाई के दौरान कोरोना के प्रकोप तथा उपचार के संबंध में सरकार किये जा रहे प्रयास की लिखित रिपोर्ट युगलपीठ के समक्ष पेश की गयी। याचिकाकर्ताओं ने पेश की गयी रिपोर्ट पर आपत्ति व्यक्त करते हुए बताया कि स्थिति बहुत भयाभय है। कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है तो दूसरी तरफ ऑक्सीजन,रेमेडेसिवर इंजेक्शन,अस्पतालों में बेड सहित अन्य अव्यवस्थाओं का लोगों को सामना करना पड रहा है।
युगलपीठ ने याचिकाकर्ताओं की तरफ से पेश की गयी आपत्तियों पर सरकार से 24 घंटों में लिखित जवाब मांगा है। याचिका पर अगली सुनवाई 16 अगस्त को निर्धारित की गयी है।
गौरतलब है कि प्रदेश के शाजापुर जिले स्थित एक निजी अस्पताल के प्रबंधन के बिल की राशि का भुगतान नहीं होने पर वृद्ध मरीज को बेड से बांधकर रखे जाने वाली संज्ञान याचिका के साथ कोरेाना महामारी से संबंधित आधा दर्जन याचिकाओं पर हाईकोर्ट द्वारा संयुक्त रूप से सुनवाई की जा रही है।
सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से पेश की गयी रिपोर्ट में कहा गया कि 14 अप्रैल तक प्रदेश में कुल मरीजों की संख्या 3.63 लाख थी, जिसमें से 3 लाख 9 हजार पीडित ठीक हो गये है। एक्टिव कोरोना पीडितों की संख्या लगभग 50 हजार है तथा मृत्यु दर 1.2 प्रतिशत है। मार्च तथा अप्रैल माह में कोरोना पीडित व्यक्तियों की संख्या में इजाफा हुआ है। वर्तमान सप्ताह में प्रदेश में रोजाना लगभग 65 सौ मरीज सामने आ रहे है।
प्रदेश सरकार द्वारा टेस्टिंग की संख्या बढकर 40 हजार प्रतिदिन कर दी है। इसके अलावा प्राईवेट में आरटीपीसीआर टेस्ट की दर 700 तथा आरएटी की दर 300 सौ रूपये निर्धारित की गयी है। एचआरसीटी की दर 3 हजार रूपये तथा अस्पताल कोरोना मरीज से 140 प्रतिशत से अधिक राशि नहीं ले सकते है। कलेक्टरों के माध्यम से 36 हजार रेमेडेसिवर इंजेक्शन का वितरण किया गया है। इसके अलावा मेडिकल कॉलेज तथा सरकारी स्वास्थ केन्द्र में 31 हजार रेमेडेसिवर इंजेक्टशन का वितरण किया गया है। विरतण के लिए दस हजार इंजेक्शन उपलब्ध है।
सरकार की तरफ से बताया गया कि करोना पीडितों के लिए वर्तमान में आईसोलेशन बेड की संख्या 8810, ऑक्सीजन बेड की संख्या 7880 तथा एचडीयू व आईसीयू बेड की संख्या 3258 है। इस प्रकार कुल बेड की संख्या 19948 है, जिसे बढाकर 44126 करने कार्य प्रगति पर है। जिन अस्पतालों में आयुष्मान योजना लागू है वहां इस योजना के तहत 20 प्रतिशत बेड आरक्षित रखे गये है। इसके अलावा निशुल्क 3223 बेड निजी अस्पताल में सरकार की योजना के तहत आरक्षित है। ऑक्सीजन की व्यवस्था भी अन्य प्रदेशों से करवाई जा रही है। प्रदेश में 6631़27 वैक्सीन के टीके लगाये गये है।
याचिकाकर्ताओं की तरफ से युगलपीठ को बताया गया कि कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है और सरकार सिर्फ कागजी आंकडे पेश कर रही है। स्थिति बहुत भयभीत करने वाली है तथा उपचार के लिए अस्पताल में बेड उपलब्ध नहीं है। रेमेडेसिमर इंजेक्शन की जमकर कालाबाजारी हो रही है। डॉक्टर द्वारा उपचार के लिये रेमेडेसिवर इंजेक्शन लिखता है तो ड्रग इस्पेक्टर व एसडीएम उसे आमान्य कर देते है। बिल अदा नहीं करने पर निजी अस्पताल परिजनों को लाश देने से इंकार कर देते है। सरकार द्वारा रेमेडेसिवर इंजेक्शन का मूल्य 35 सौ रूपये निर्धारित किये गये है,जबकि थोक में इस इजेक्शन का मूल्य 7 सौ रूपये से प्रारंभ होता है।
एमडी एनएचए छबि भारद्वाज ने सुनवाई के दौरान युगलपीठ को बताया कि डॉक्टर के लिखने के बाद ड्रग कंट्रोलर व एसडीएम उसे आमान्य नहीं कर सकते है। युगलपीठ ने सरकार को निर्देश जारी किये है कि कोरोना उपचार के नाम पर किसी व्यक्ति का शोषण नहीं किया जाये तथा कोई व्यक्ति इलाज से वंचित नहीं रहे। बिल के नाम पर लाश को बंधक बनाने वाले अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया जाये।
युगलपीठ ने डॉक्टर तथा स्टाफ के रिक्त पदों की नियुक्ति के संबंध में भी जवाब पेश करने निर्देश जारी किए हैं| याचिकाकर्ता की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा, संजय वर्मा, पूर्व महाधिवक्ता शशांक शेखर, संजय वर्मा, एस शर्मा तथा सरकार की तरफ से महाधिवक्ता पी कौरव, अतिरिक्त महाधिवक्ता आर के वर्मा तथा पी यादव उपस्थित हुए। कोर्ट मित्र के तौर पर वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ उपस्थित हुए।
सं नाग
वार्ता
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