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भोपाल गैस पीडित संगठनों ने ईडीएम में हस्ताक्षर के लिए ब्रिटेन की संसद का आभार व्यक्त किया

भोपाल, 01 दिसंबर (वार्ता) भोपाल में यूनियन कार्बाइड हादसे के प्रभावितों के लिए काम कर रहे पांच संगठनों ने आज ब्रिटेन की संसद के उन सदस्यों के प्रति आभार व्यक्त किया है, जिन्होंने 28 नवंबर को संसद में पेश अर्ली डे मोशन (ईडीएम) पर हस्ताक्षर किए हैं।
पांच राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों और तीन स्वतंत्र सांसदों सहित संसद के 40 सदस्यों ने एक ईडीएम पर हस्ताक्षर किए हैं, जो गैस हादसे के लिए जिम्मेदार लोगों को न्याय दिलाने के लिए कहता है। यूनियन कार्बाइड के मालिक डाव केमिकल से ‘तत्काल सुधार करने के लिए’ कहता है। पर्यावरणीय क्षति और पीड़ितों को उचित मुआवजा दें और भोपाल स्थित पत्रकार स्वर्गीय राजकुमार केसवानी के काम की भी सराहना की।
भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की अध्यक्ष रशीदा बी ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि विपक्ष के हालिया नेतृत्व करने वाले जेरेमी कॉर्बिन एक स्वतंत्र और लेबर पार्टी के एंडी मैकडोनाल्ड ने ईडीएम का समर्थन किया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि प्रस्ताव पर और सांसद हस्ताक्षर करेंगे और निकट भविष्य में भोपाल के लंबित मुद्दों पर ब्रिटेन की संसद का ध्यान जाएगा।
भोपाल ग्रुप फॉर इंफॉर्मेशन एंड एक्शन की रचना ढींगरा ने बताया कि यह प्रस्ताव भारतीय मूल के लेबर सांसद नवेंदु मिश्रा ने पेश किया था। इससे पहले नवेन्दु मिश्रा ने न्याय के मुद्दों, प्रदूषित भूमि और भूजल की सफाई और पीड़ितों के लिए पर्याप्त मुआवजे पर ब्रिटेन की संसद में बहस किया। उनके प्रयासों के परिणामस्वरूप यूके के विदेश, राष्ट्रमंडल और विकास कार्यालय में राज्य मंत्री ऐनी-मैरी ट्रेवेलियन ने व्यापार और सहयोग पर चल रही चर्चाओं के दौरान भारतीय समकक्षों के साथ भोपाल के मुद्दों को उठाने की बात का भरोसा दिलाया है।
भोपाल गैस पीड़ित निराश्रित पेंशनभोगी संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष बालकृष्ण नामदेव ने कहा कि सांसदों को भोपाल के गैस पीड़ितों की मदद के लिए प्रेरित करेगा, जो वर्तमान में पर्याप्त मुआवजे, मिट्टी और भूजल से जहर की सफाई, दोषी कंपनियों को सजा और चिकित्सा और सामाजिक पुनर्वास के लिए लड़ रहे हैं।
भोपाल गैस पीड़ित महिला पुरुष संघर्ष मोर्चा के नवाब खान और डॉव कार्बाइड के खिलाफ बच्चों की नौशीन खान ने ब्रिटेन की संसद के अन्य सदस्यों से अर्ली डे मोशन पर हस्ताक्षर करने की अपील की है।
दो और तीन दिसंबर 1984 की दरम्यानी रात को भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड कारखाने से जहरीली गैस मिथाइल आइसोसाइनेट के रिसने से उसकी चपेट में आए हजारों लोगों की असमय मौत हो गयी थी तथा लाखों की संख्या में लोग इससे प्रभावित हुए थे और आज भी हजारों की संख्या में लोग इसका दंश झेल रहे हैं।
बघेल
वार्ता
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