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बच्चों के विकास के शुरुआती वर्षों में निवेश ही सतत आर्थिक विकास की नींव : आरआईएस-यूनिसेफ

भोपाल, 17 जनवरी (वार्ता) जी-20 सम्मेलन के तहत मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में आयोजित थिंक-20 के दो दिवसीय सम्मेलन के बाद आज इसके परिणामों को साझा करते हुए विशेषज्ञों ने कहा कि इस सम्मेलन की भारत की अध्यक्षता बच्चों पर विशेष ध्यान देने के साथ सभी के लिए सतत विकास के लिए ज़रूरी परिवर्तन को प्रेरित करने का एक अनूठा अवसर है।
हालांकि विशेषज्ञों के अनुसार ये तभी हो सकता है, जब हर इंसान एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य की भावना में तकनीक और हरित-नेतृत्व वाली आर्थिक वृद्धि और विकास का हिस्सा हो।
भोपाल में कल से दो दिवसीय, थिंक 20 सम्मेलन 'ग्लोबल गवर्नेंस विद लाइफ, वैल्यूज एंड वेलबीइंग - फोस्टरिंग कोऑपरेशन इन फ्रेमवर्क, फाइनेंस एंड टेक्नोलॉजी' का आयोजन विकासशील देशों के लिए अनुसंधान और सूचना प्रणाली (आरआईएस) और अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन एवं नीति विश्लेषण संस्थान, मध्यप्रदेश सरकार का एक स्वायत्त संस्थान, नीति आयोग और अन्य भागीदारों के सहयोग से किया गया था। यह सम्मेलन टी20 टास्क फोर्स के सदस्यों, शिक्षाविदों, विषय विशेषज्ञों, नीति निर्माताओं, राजनयिकों, यूनिसेफ और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों, निजी क्षेत्रों, फाउंडेशन और सिविल सोसाइटी को एक साथ लेकर आया।
दक्षिण एशिया के लिए यूनिसेफ के क्षेत्रीय निदेशक जॉर्ज लारिया-अदजेई और विकासशील देशों के लिए अनुसंधान और सूचना प्रणाली (आरआईएस) के महानिदेशक प्रोफेसर सचिन चतुर्वेदी ने आज इस सम्मेलन के परिणामों को साझा किया। श्री चतुर्वेदी ने कहा कि विकास परिवर्तन (डेवलपमेंट ट्रांसफॉर्मेशन) के दृष्टिकोण में बदलाव की आवश्यकता है जो विकास में महिलाओं की भूमिका को पहचाने। महिला उद्यमिता को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि बच्चों में निवेश जैसे मामलों को उतनी प्राथमिकता नहीं दी जाती। इसके लिए इस सम्मेलन में बच्चों के विशिष्ट मुद्दों को प्राथमिकता दी है।
श्री जॉर्ज लारिया-अदजेई ने कहा कि दुनिया को संज्ञानात्मक विकास को आगे बढ़ाने की जरूरत है, जिसके लिए विकास के लिए एक नए मॉडल की आवश्यकता है। जी-20 की अगुवाई में भारत के साथ यह नया मॉडल सामने आएगा।
गरिमा
वार्ता
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