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कोटवार, होमगार्डों और ग्राम पटेलों ने मानदेय बढ़ाए जाने पर भूपेश का जताया आभार

रायपुर 03 मई(वार्ता)छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में आज राज्य भर से आए कोटवार, होमगार्ड के जवानों,ग्राम पटेलों एवं स्वावलंबी गौठान समिति के अध्यक्ष-सदस्यों ने अपने मानदेय बढ़ाए जाने पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के प्रति आभार व्यक्त किया।
कार्यक्रम में गौठान संचालन समिति के अध्यक्ष और सदस्यों ने भी मानदेय मिलने की शुरुआत होने पर खुशी जताई और गोबर पेंट से बनी मुख्यमंत्री की पेंटिंग भेंटकर और खुमरी पहनाकर उनका आभार व्यक्त किया।
श्री बघेल ने कार्यक्रम में स्वावलंबी गौठान संचालन समिति के अध्यक्ष-सदस्यों को 01 करोड़ 56 लाख रूपए की राशि और गोधन न्याय योजना के तहत गोबर 09 करोड़ 80 लाख रूपए की राशि अंतरित की, इसमें गोबर विक्रेताओं के लिए 3 करोड़ 80 लाख तथा गौठान समिति एवं स्व-सहायता समूहों के लिए 6 करोड़ रूपए शामिल हैं। उन्होंने कहा कि यह प्रयास किया जाए कि गांवों में निरंतर गोबर की खरीदी हो और गांवों में एकत्रित होने वाले गोबर में से 50 प्रतिशत गोबर की खरीदी हो, इससे हमारे पशुपालक समृद्ध होंगे और गोबर पेंट और बिजली बनाने के लिए पर्याप्त मात्रा में गोबर उपलब्ध हो।
उन्होने कहा कि आज हम शासन के महत्वपूर्ण अंग पटेल, कोटवार, होम गार्ड और गौठान समिति के अध्यक्ष-सदस्यों से भी रूबरू हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि इनके बिना सुचारू रूप से प्रशासन के संचालन की कल्पना नहीं कर सकते हैं। अब एक नये संगठन के रूप में गौठान समिति की बड़ी भूमिका भी सामने आई है, जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि कोटवार, पटेल शासन के आंख और कान है। गांव में शांति व्यवस्था बनाए रखने में वे पुलिस और प्रशासन का सहयोग करते हैं। गांव और शासन-प्रशासन के मध्य एक कड़ी के रूप में कार्य करते हैं।
श्री बघेल ने कहा कि जब हमारी सरकार बनी, तो उस समय महसूस किया कि गांव में कृषि यंत्रों के उपयोग से लागत बढ़ रही थी, रकबा कम हो रहा था। पशुओं के अनियंत्रित चराई की समस्या से भी हमारे गांव जूझ रहे थे। तब हमने गौठान की संकल्पना की शुरूआत की, ताकि गांव में पशु एक-दूसरे के खेतों में प्रवेश न करें और उनका सदुपयोग हो। उन्होंने कहा कि इसके लिए गांवों में उन्हीं भूमि का चयन किया गया, जो अविवादित थी। हमने पंचायतों में गौठान बनाना शुरू किया। आज 10 हजार से अधिक गौठान बन गए हैं, जिसमें पांच हजार से अधिक गौठान स्वावलंबी हो चुके हैं।
साहू
वार्ता
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