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चुनावों में उपेक्षा के कारण दिव्यांग मतदाता निर्वाचन आयोग से नाराज

नैनीताल 18 नवम्बर (वार्ता) उत्तराखंड में निकाय चुनाव के लिए मतदान रविवार हो रहा है। चुनाव के महापर्व के मौके पर मतदाता भगवान माना जाता है लेकिन इस महापर्व के दौरान नैनीताल में मतदाताओं से कई शिकायतें सुनने को मिलीं। पहाड़ी क्षेत्रों में मतदाताओं को मतदान स्थल तक पहुंचने में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा। खासकर दिव्यांग मतदाताओं को निर्वाचन आयोग की ओर से की जा रही उपेक्षा का काफी मलाल है।
नैनीताल में सबसे अधिक चुनौती शारीरिक रूप से दिव्यांग मतदाताओं को झेलनी पड़ी। ऐसे मतदाताओं के लिये निर्वाचन आयोग की ओर से आज कोई व्यवस्था नहीं की गयी। भौगोलिक रूप से दुरूह एवं पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण अधिकांश दिव्यांग मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं कर पाये। कुछ मतदाता इतने खुशनशीब रहे कि उनको उनके परिजन मतदान स्थल तक लेकर आये और उन्होंने अपने मताधिकार का प्रयोग किया।
अस्सी प्रतिशत दिव्यांग मतदाता नीरा तिवारी ने कहा कि निर्वाचन आयोग की ओर से हर चुनावों में अपने मताधिकार के प्रयोग की बात की जाती है। निर्वाचन लेकिन पहाड़ी क्षेत्रों में दिव्यांग मतदाताओं को मतदान स्थल तक पहुंचाने के लिये आयोग की ओर से कोई व्यवस्था नहीं होती है। काठकोठी पिलग्रिम लाॅज में रहने वाली सुश्री नीरा तिवारी ने आगे कहा कि वे अक्षम होने के चलते चाहकर भी मतदान नहीं कर पायीं।
मल्लीताल गौशाला मतदान केन्द्र में मतदान करने पहुंची अस्सी वर्षीया दिव्यांग मतदाता राजकुमारी को भी निर्वाचन आयोग की ओर से दिव्यांग मतदाताओं की उपेक्षा करने का मलाल है। उन्होंने कहा कि नैनीताल पर्वतीय क्षेत्र है और पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण दिव्यांग मतदाताओं को मतदान करने के लिये अपने परिजनों पर निर्भर रहना पड़ता है। आयोग की ओर से उनके लिये कोई पृथक व्यवस्था नहीं की जाती है। एक पैर गंवा चुकी राजकुमारी के चेहरे पर मतदान करने की खुशी साफ झलक रही थी। उन्हें उनका बेटा मतदान कराने के लिये व्हील चेयर पर लेकर आये थे।
सामाजिक कार्यकर्ता रवीन्द्र सिंह रावत ने कहा कि अधिकांश दिव्यांग मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं कर पाते हैं। खासकर पहाड़ी क्षेत्रों में दिव्यांगों के लिये कोई व्यवस्था नहीं की जाती है। यदि किसी तरह से दिव्यांग मतदाताओं को मतदान स्थल तक लेकर आयें भी तो मतदान स्थलों पर रैम्प एवं अन्य चीजों की व्यवस्था नहीं होती है।
बीडी पांडे अस्पताल में फिजिशियन एमएस दुग्ताल ने कहा कि पहाड़ों की जलवायु एवं ठंडे मौसम के कारण 60 प्रतिशत लोगों को घुटने एवं आर्थराइटिस की बीमारी घेर लेती है। वे चलने फिरने में मुश्किल महसूस करते हैं। ऐसे में पहाड़ों में रहने वाले अधिकांश बीमार लोग भी मतदान स्थल तक नहीं पहुंच पाते हैं और मतदान के अधिकार से वंचित हो जाते हैं। सामाजिक कार्यकर्ता डीएस पटवाल ने कहा कि आयोग को ऐसे लोगों के लिये मतदान के लिये अलग से व्यवस्था करनी चाहिए।
रवीन्द्र, उप्रेती
वार्ता
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