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चारधाम यात्रा में सुविधाओं की कमी, हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

नैनीताल, 28 जून (वार्ता) उत्तराखंड की ऐतिहासिक चारधाम यात्रा में सुविधाओं की कमी को लेकर दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने प्रदेश सरकार एवं बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर कमेटी को चार सप्ताह में जवाब देने को कहा है। साथ ही जिला पंचायत उत्तरकाशी को पक्षकार बनाने के लिये नोटिस जारी किया है।
मुम्बई उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के.आर. श्रीराम पिछले महीने चारधाम की यात्रा पर यहां आये थे। उन्हें इस दौरान तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ा। इसके बाद उन्होंने उत्तराखंड उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को एक पत्र लिखकर चारधाम यात्रा में यात्रियों को होने वाली असुविधाओं को लेकर एक पत्र लिखा। उच्च न्यायालय ने इसी पत्र का संज्ञान लेते हुए इस मामले में जनहित याचिका दायर कर ली।
उच्च न्यायालय को भेजे पत्र में उन्होंने कहा है कि विगत 22 मई से 02 जून के बीच उन्हें एवं उनके परिवार को चारधाम यात्रा करने का सौभाग्य मिला। इस दौरान उन्होंने महसूस किया कि यात्रियों को काफी दिक्कतें उठानी पड़ रही हैं। यमुनोत्री में रास्ते खराब एवं संकरें हैं। घोड़े, खच्चर और डोली वाले यात्रियों की परवाह नहीं करते हैं। फिसलन भरा रास्ता है। पूरे रास्ते में पुलिस और सुरक्षाकर्मियां की भारी कमी देखने को मिली है। रास्ते में न तो बिजली है और न ही मोबाइल नेटवर्क है। लंबी यात्रा के दौरान तीर्थयात्रियों के लिये आराम के लिये कोई व्यवस्था तक नहीं है।
केदारनाथ हवाई सफर के दौरान यात्रियों को घंटों इंतजार करना पड़ता है। यात्रियों के बैठने के लिये कोई सुविधा नहीं है। बुजुर्ग यात्रियों को धूप में घंटों इंतजार करना पड़ता है। सरकार को इन सुविधाओं में तत्काल ध्यान देने की जरूरत है। इस मामले में मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की युगलपीठ में पहली सुनवाई हुई।
बदरी-केदारनाथ मंदिर कमेटी के अधिवक्ता रवि बाबुलकर ने बताया कि मामले की सुनवाई के बाद अदालत ने राज्य सरकार एवं बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर कमेटी को चार सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है। साथ ही उत्तरकाशी की जिला पंचायत को पक्षकार बनाने के लिये नोटिस जारी किया है। मामले की सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी।
रवीन्द्र, उप्रेती
वार्ता
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