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विद्युत निगम के महाप्रबंधक ने फूंकी 92 हजार की बिजली, हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

नैनीताल 23 जुलाई, (वार्ता) उत्तराखंड विद्युत निगम के महाप्रबंधक ने एक महीने में 92000 रुपये से अधिक की बिजली खपत का मामला प्रकाश में आया है। उच्च न्यायालय ने इस मामले में राज्य सरकार से निगम में व्याप्त भ्रष्टाचार एवं अपव्यय को लेकर दो सप्ताह के अंदर जवाब मांगा है। अदालत ने सरकार को कहा है कि जनहित याचिका में उठाये गये सभी बिन्दुओं पर विस्तृत रूप से जवाब दाखिल करे।
मामले को देहरादून के आरटीआई क्लब की ओर से चुनौती दी गयी है। इस मामले में एक जनहित याचिका दायर की गयी है। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की युगलपीठ में मंगलवार को हुई। जहां अदालत ने भी इस मामले को गंभीरता से लिया। याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया गया कि उत्तराखंड विद्युत निगम लिमिटेड में भ्रष्टाचार एवं अपव्यय चरम पर है। उत्तराखंड विद्युत निगम प्रदेश में अरबों रुपये की बिजली आयात करता है लेकिन उसका भुगतान समय से नहीं करता है। जिससे निगम को भारी नुकसान उठाना पड़ता है। समय पर भुगतान नहीं करने से निगम को दो प्रतिशत छूट का लाभ भी नहीं मिल पाता और इसके अलावा डेढ़ प्रतिशत सरचार्ज का भुगतान अधिक करना पड़ता है जो कि करोड़ों रुपये है। याचिकाकर्ता की ओर से यह भी कहा गया है कि निगम में ओवर ड्राफ्ट के नाम पर भी घपला होता है।
याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को आगे बताया गया कि सरकार पिछले दस वर्षों में विद्युत बिलों में बढ़ोतरी करती आ रही है लेकिन उत्तराखंड विद्युत निगम, जल विद्युत निगम एवं पिटकुल के हजारों अधिकारियों और कर्मचारियों को नाममात्र के भुगतान पर असीमित विद्युत आपूर्ति की जा रही है। इनकी खपत की कोई सीमा तय नहीं है। अधिकांश अधिकारियों और कर्मचारियों के यहां न तो विद्युत मीटर लगे हैं और जो लगे हैं उनमें से भी अधिकांश खराब चल रहे हैं।
याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को यह भी बताया गया कि विद्युत विभाग के देहरादून में तैनात एक महाप्रबंधक के द्वारा 425 रुपये के बदले एक महीने में अकेले 92000 रुपये से अधिक की विद्युत खपत की गयी है। यह आंकड़ा पिछले साल 20 फरवरी, 2018 से 21 मार्च 2018 के मध्य का है। इसके बाद अदालत ने इस प्रकरण को बेहद गंभीरता से लिया और उत्तराखंड विद्युत निगम लिमिटेड को दो सप्ताह के अंदर जनहित याचिका में उठाये गये सभी बिन्दुओं पर जवाब पेश करने को कहा है।
रवीन्द्र, उप्रेती
वार्ता
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