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उत्तराखंड में आपदा के बाद पांच जलविद्युत परियोजनाएं बंद

देहरादून 21 अगस्त (वार्ता) उत्तरकाशी के मोरी तहसील में बादल फटने के बाद आई आपदा से टौंस और यमुना नदी में उफान की वजह से राज्य की पांच जलविद्युत परियोजनाओं को बंद करना पड़ा है। इसकी वजह से प्रतिदिन 120 लाख यूनिट का नुकसान उठाना पड़ रहा है।
सूत्रों के अनुसार विद्युत उत्पादन घटने की वजह से इसकी आपूर्ति भी प्रभावित हुई और विद्युत विभाग को अब तक करोड़ों रुपये का नुकसान हो चुका है। हालात सामान्य होने में अभी समय लग सकता है।
मोरी में बादल फटने की वजह से टौंस और यमुना नदी पर स्थित पांच बड़ी जलविद्युत परियोजनाओं को बंद करना पड़ा। जिससे रोज 12 मिलियन यूनिट का नुकसान राज्य को हो रहा है। दरअसल टौंस और यमुना नदियों का जलस्तर बढ़ने की वजह से पानी में गाद की मात्रा बढ़ गई है। इसके कारण 240 मेगावाट की छिबरो, 120 मेगावाट की खोदरी, 51 मेगावाट की ढालीपुर, 33.75 मेगावाट के ढकरानी और 30 मेगावाट की कुल्हाल जल विद्युत परियोजनाओं का उत्पादन ठप हो गया है।
इस मामले में यूजेवीएनएल के प्रबंध निदेशक एस.एन. वर्मा का कहना हे कि जब भी इस तरह की बाढ़ जैसी स्थिति होती है तो उसमें मलबा बहुत बढ़ जाता है और मशीनों को चलाना सुरक्षित नहीं रहता। श्री वर्मा के अनुसार 3000 पीपीएम तक गाद के साथ मशीनें चल सकती हैं और अभी गाद 11000 पीपीएम तक बढ़ गया है। अब फिर से उत्पादन करने के गाद कम होने का इंतजार करना होगा। मोरी तहसील के करीब 52 गांव में भी बिजली आपूर्ति अब भी ठप पड़ी है और अगले 10 दिन तक इसे सुचारु होने की उम्मीद भी नहीं है।
इस आपदा से विद्युत आपूर्ति करने वाले निगम यूपीसीएल को करीब दो करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। मोरी तहसील में 33 किलोवाट की 26 किलोमीटर और 11,000 किलोवाट की 18 किलोमीटर की लाइनें ध्वस्त हो गई हैं। इसके अलावा आठ बड़े ट्रांसफार्मर्स को भी नुकसान पहंचा है।
सं. उप्रेती
वार्ता
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