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अवैध शिकार के मामले में एसआईटी की रिपोर्ट पेश

नैनीताल 14 नवंबर (वार्ता) उत्तराखंड के हरिद्वार स्थित राजाजी टाइगर रिजर्व (आरटीआर) में वन्य जीवों के कथित अवैध शिकार के मामले में वन विभाग के अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं क्योंकि विशेष जांच दल (एसआईटी) की ओर से उच्च न्यायालय में जांच रिपोर्ट पेश कर दी गयी है।
मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन की अगुवाई वाली युगलपीठ ने गुरूवार को याचिकाकर्ता को दोनों जांच रिपोर्ट का आकलन कर तीन सप्ताह में रिपोर्ट पेश करने को कहा है।
एसआईटी की ओर से सील बंद लिफाफे में जांच रिपोर्ट अदालत में पेश की गयी है। जांच रिपोर्ट को अदालत में रिकार्ड में ले लिया गया है। यह जानकारी याचिकाकर्ता के अधिवक्ता विवेक शुक्ला ने दी। उन्होंने आगे बताया कि भारतीय वन सेवा के अधिकारी मनोज चंद्रन की ओर से इसी मामले में पहले ही एक जांच रिपोर्ट तैयार की गयी है। लगभग 435 पेज की इस जांच रिपोर्ट को पहले ही अदालत में पेश किया जा चुका है।
उन्होंने बताया कि आज अदालत ने निर्देश दिया कि एसआईटी की ओर से पेश की गयी जांच रिपोर्ट को एक सप्ताह के अंदर सभी पक्षकारों को सौंप दी जाये। साथ ही याचिकाकर्ता को निर्देश दिया कि वह दोनों जांच रिपोर्ट का अध्ययन कर जांच में खामियों के संदर्भ में एक रिपोर्ट कोर्ट में पेश करे।
दरअसल हरिद्वार निवासी दिनेश चंद्र पांडे की ओर से एक जनहित याचिका दायर कर राजाजी नेशनल पार्क में वन्य जीवों के अवैध शिकार की जांच में अनियमितता का आरोप लगाया गया। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि आरटीआर के मोतीचूर परिक्षेत्र में पिछले साल 22 मार्च को चार गड्ढों से वन्य जीवों के अवशेष बरामद किये गये थे। बरामद अवशेष बाघ एवं तेंदुओं के पाये गये थे। वन विभाग ने वन्य जीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत मामला दर्ज कर प्रदेश के मुख्य वन संरक्षक मनोज चंद्रन को जांच सौंप दी थी।
याचिकाकर्ता की ओर से आगे कहा गया कि इस मामले में मोड़ तब आया जब आईएफएस अधिकारी मनोज की अगुवाई में होने वाली जांच को रोक दिया गया तथा एसआईटी को जांच सौंप दी गयी। श्री शुक्ला ने बताया कि मुख्य वन संरक्षक मनोज की ओर से तैयार 435 पेज की जांच रिपोर्ट में आरटीआर के तत्कालीन निदेशक सनातन सोनकर सहित 11 वनाधिकारियों की भूमिका संदिग्ध पायी गयी है। याचिकाकर्ता की ओर से आरोप लगाया गया कि सरकार एसआईटी को जांच सौंप कर मामले पर पर्दा डालना चाहती है।
इसके बाद अदालत के निर्देश पर आईएफएस अधिकारी मनोज चंद्रन की जांच रिपोर्ट को अदालत में मंगा लिया गया। साथ ही अदालत ने एसआईटी को भी जांच पूरी कर रिपोर्ट अदालत में पेश करने के निर्देश दिये। अब दोनों रिपोर्टों में अंतर के बाद अदालत तय करेगी कि जांच में क्या खामियां हैं और एसआईटी को जांच क्यों सौंपी गयी। इसके साथ ही अदालत दोषी लोगों के खिलाफ भी कार्यवाही को लेकर निर्देश जारी कर सकती है।
रवींद्र.संजय
वार्ता
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