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हाईकोर्ट ने पेयजल निगम में भ्रष्टाचार के मामले में सभी पक्षकारों से मांगा जवाब

नैनीताल, 14 दिसंबर (वार्ता) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने पेयजल निगम के प्रबंध निदेशक (एमडी) के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार के मामले में दायर जनहित याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए सभी पक्षकारों से तीन सप्ताह में जबाव पेश करने के निर्देश दिये हैं। याचिकाकर्ता की ओर से मामले की जांच केन्द्रीय जांच ब्यूरों से कराने की मांग की गयी है।
मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की युगलपीठ में हुई। मामले को देहरादून निवासी मुकेश कुमार सिन्हा की ओर से जनहित याचिका के माध्यम से चुनौती दी गयी है। अदालत के आदेश पर इस मामले में पेयजल निगम को भी पक्षकार बनाया गया है। इससे पहले अदालत ने याचिकाकर्ता से इस मामले में शपथपत्र पेश करने को कहा था।
याचिकाकर्ता की ओर से याचिका में कहा गया है कि निगम के प्रबंध निदेशक की ओर से कई योजनाओं में भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया है। याचिकाकर्ता की ओर से यह भी आरोप लगाया गया कि प्रबंध निदेशक ने कई योजनाओं में अपने चहेतों को लाभ पहुंचाया है। उनकी लापरवाही से सरकार को सौ करोड़ रुपये से अधिक की राजस्व हानि हुई है।
याचिकाकर्ता की ओर से प्रबंध निदेशक को पद से हटाने एवं मामले की जांच केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) कराने की मांग की गयी है। मामले को सुनने के बाद अदालत ने सभी पक्षकारों को जवाब देने को कहा है।
रवीन्द्र, उप्रेती
वार्ता
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