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बागेश्वर की सरयू नदी में खनन मामले में कल तक स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश

नैनीताल 23 मार्च (वार्ता) उत्तराखंड के बागेश्वर में सरयू नदी पर खनन के मामले में दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए सोमवार को उच्च न्यायालय ने सरकार से मंगलवार तक स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दिये। इस मामले में कल सुनवाई होगी।
मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायमूर्ति रमेश चंद्र खुल्बे की युगलपीठ ने ये निर्देश बागेश्वर निवासी प्रमोद कुमार मेहता की ओर से दायर जनहित याचिका की सुनवाई के बाद दिये हैं। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि प्रशासन ने सरयू नदी में रेता एवं उपखनिज के उठान तथा निस्तारण के लिये विगत 09 मार्च को निविदा जारी कर खुली नीलामी आमंत्रित की है। खुली नीलामी की आड़ में जिला प्रशासन माफियाओं को लाभ पहुंचा रहा है। इससे सरयू के पुरातन काल से आ रहे स्वरूप को नुकसान हो सकता है।
याचिकाकर्ता की ओर से पीठ को यह भी बताया गया कि अभी तक सरयू में बिना मशीनों के चुगान का कार्य होता आया है। प्रशासन की ओर से निविदा के तहत 19 मार्च तक आवेदन मांगे गये और 20 मार्च को नीलामी कर दी गयी है। यह जानकारी याचिकाकर्ता के अधिवक्ता डी.के. जोशी ने दी। श्री जोशी ने बताया कि स्थानीय जनता की ओर से खुली नीलामी के विरोध में विगत 13 मार्च को जिलाधिकारी को एक प्रत्यावेदन सौंपा गया लेकिन प्रत्यावेदन पर कोई कार्यवाही नहीं की गयी।
याचिकाकर्ता की ओर से अदालत से मांग की गयी कि सरयू नदी से भारी भरकम मशीनों के बजाय परंपरागत तरीके से रेता एवं बजरी का चुगान हो। इससे एक ओर जहां स्थानीय लोगों को लाभ मिल सकेगा वहीं नदी का प्राकृतिक स्वरूप बना रहेगा। आधुनिक मशीनों जेसीबी एवं पोकलैंड से खुदाई करने से नदी को काफी नुकसान हो सकता है और इससे बाढ़ की आशंका बढ़ जायेगी। साथ ही पुलों और पंपों को भी खतरा बढ़ जायेगा।
याचिकाकर्ता की ओर से आगे कहा गया कि प्रशासन की ओर से खुली नीलामी के लिये निविदा जारी करने से पहले रेता एवं बजरी का आकलन भी नहीं किया गया है जो कि उत्तराखंड रिवर ट्रेनिंग नीति, 2020 के प्रावधानों के विपरीत है। युगलपीठ ने मामले को सुनने के बाद सरकार से कल तक स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दिये हैं।
रवीन्द्र, उप्रेती
वार्ता
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