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हाईकोर्ट ने आरक्षित वन भूमि से अतिक्रमण हटाने के दिए निर्देश

नैनीताल, 19 जून (वार्ता) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने अपने महत्वपूर्ण निर्णय में शुक्रवार को राजाजी टाइगर रिजर्व (आरटीआर) के अंतर्गत आने वाली आरक्षित वन भूमि पर से अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिये हैं साथ ही एक जुलाई से पहले प्रगति रिपोर्ट अदालत में पेश करने को कहा है।
मुख्य आदेश रमेश रंगनाथन एवं न्यायमूर्ति रमेश चंद्र खुल्बे की युगलपीठ ने अधिवक्ता विवेक शुक्ला की ओर से दायर जनहित याचिका की आज सुनवाई के बाद यह निर्देश जारी किए हैं। याचिकाकर्ता की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि पौड़ी जनपद स्थित कुनाऊं गांव में आरक्षित वन भूमि पर परमार्थ निकेतन की ओर से 135 बीघा भूमि पर अतिक्रमण किया गया है। यह आरक्षित वन भूमि है और आरटीआर के अंतर्गत आती है। याचिकाकर्ता की ओर से परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष मुनि चिदानंद को पक्षकार बनाया गया है।
सरकार की ओर से आज अदालत को बताया गया कि यह आरक्षित वन भूमि है और इस भूमि को लीज पर आवंटित किया गया था लेकिन 1988 में यह लीज समाप्त हो गयी थी। इस भूमि पर अतिक्रमण किया गया है। मामले को सुनने के बाद अदालत ने निर्देश दिए की सरकार अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई करे और इस मामले की प्रगति रिपोर्ट एक जुलाई से पहले अदालत में पेश करे।
इस मामले में अगली सुनवाई एक जुलाई को होगी।
रवीन्द्र, उप्रेती
वार्ता
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