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उत्तराखंड में अवैध स्टोन क्रेशरों पर गिर सकती है गाज

नैनीताल 23 सितंबर (वार्ता) उत्तराखंड में अवैध रूप से संचालित हो रहे स्टोन क्रेशरों पर गाज गिर सकती है। उच्च न्यायालय ने स्टोन क्रेशरों के मामले में आ रही अनियमितताओं को बेहद गंभीरता से लेते हुए बुधवार को सरकार से प्रदेश में स्थापित सभी स्टोन क्रेशरों के बारे में विस्तृत जानकारी देने को कहा है। इस मामले में अगली सुनवाई आठ अक्टूबर को होगी।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि कुमार मलिमथ व न्यायमूर्ति रमेश चंद्र खुल्बे की पीठ में बाजपुर कोसी निवासी त्रिलोक चंद्र की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता की ओर से मांग की गयी थी कि प्रदेश में स्थापित अधिकांश स्टोन क्रेशर मानकों के खिलाफ लगाये गये हैं और इनसे भारी प्रदूषण हो रहा है। ऐसे स्टोन क्रेशरों को बंद किया जाये। इससे अवैध खनन पर भी रोक लगेगी। याचिकाकर्ता की ओर से यह भी मांग की गयी थी कि प्रदेश में एक स्टोन क्रेशर जोन बनाया जाये और सभी स्टोन क्रेशर एक ही जोन में स्थापित किये जायें।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता एसआरएस गिल ने बताया कि पीठ ने महसूस किया कि स्टोन क्रेशरों की अनियमितता को लेकर अनेक मामले उच्च न्यायालय में आ रहे हैं। इससे अदालत को अलग-अलग मामलों में सुनवाई करनी पड़ रही है और इससे अदालत का समय खराब हो रहा है।
श्री गिल ने बताया कि इसलिये अदालत ने जनहित याचिका का दायरा व्यापक करते हुए सभी स्टोन क्रेशरों के मामलों को एक साथ सुनने का निर्णय लिया है और सरकार व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) को निर्देश दिया है कि वह बताये कि प्रदेश के कितने स्टोन क्रेशर उपलब्ध हैं। वे किस नीति के तहत स्थापित हुए हैं। अदालत ने यह भी पूछा है कि कितने स्टोन क्रेशर मानकों का पालन करते हैं और कितने अवैध रूप से संचालित हो रहे हैं।
सरकार व राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) को इस मामले में अगले माह आठ अक्टूबर तक जवाब दाखिल करना है। श्री गिल ने यह भी बताया कि पीठ ने रजिस्ट्री को भी निर्देशित किया है कि स्टोन क्रेशरों से संबंधित सभी याचिकाओं को एक साथ सूचीबद्ध कर अगली तिथि को सुनवाई के लिये पेश करें।
रवीन्द्र, रवि
वार्ता
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