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उत्तराखंड पुलिस पदोन्नति नियमावली विवादों के घेरे में, हाईकोर्ट में मिली चुनौती

नैनीताल, 14 जनवरी (वार्ता) उत्तराखंड पुलिस की वरिष्ठता एवं पदोन्नति नियमावली- 2018 विवादों के घेरे में आ गयी है और कुछ पुलिस कर्मियों की ओर से इसे भेदभावपूर्ण बताते हुए उच्च न्यायालय में चुनौती दी गयी है।
उच्च न्यायालय की ओर से गुरुवार को इस मामले पर सुनवाई करते हुए निर्देश दिया गया कि सभी पदोन्नतियां याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन रहेंगी। मामले को सतेन्द्र सिंह एवं अन्य की ओर से चुनौती दी गयी है।
मुख्य न्यायाधीश आर एस चौहान एवं न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की युगलपीठ में इस प्रकरण पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि पुलिस महकमे की सिविल, सतर्कता और सशस्त्र पुलिस शाखाओं में पदोन्नति के लिये विभिन्न मापदंड अपनाये जा रहे हैं। जो कि गलत हैं। वरिष्ठता एवं पदोन्नति नियमावली 2018 के तहत पदोन्नति में सभी को समान अवसर मिलना चाहिए।
याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि नियमावली भेदभावपूर्ण हैं और इसमें संविधान की धारा 14 का उल्लंघन किया गया है। इसलिए सिपाही एवं उप निरीक्षक पदोन्नति नियमावली-2018 को असंवैधानिक घोषित किया जाना चाहिए।
दूसरी ओर पुलिस महकमे की ओर से कहा गया कि सशस्त्र पुलिस कर्मियों को मस्कट प्रशिक्षण के कारण सिपाही से हेड कांस्टेबल के पद पर पदोन्नति में अधिक अवसर दिया जाना सही कदम है।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता कार्तिकेय हरिगुप्ता ने कहा कि मामले को सुनने के बाद अदालत ने सभी पदोन्नतियों को याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन कर दिया और मामले की अगली सुनवाई 17 मार्च के लिए मुकर्रर की गयी है।
रवीन्द्र, उप्रेती
वार्ता
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