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बर्खास्त जज दीपाली शर्मा के मामले में सरकार व हाईकोर्ट से जवाबतलब

नैनीताल 07 अक्टूबर (वार्ता) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने पद से बर्खास्त रूड़की की सिविल जज दीपाली शर्मा के मामले में सुनवाई करते हुए को सरकार और उच्च न्यायालय (हाईकोर्ट) को नोटिस जारी कर छह सप्ताह में जवाब देने के निर्देश दिये हैं।
दीपाली शर्मा की ओर से जांच रिपोर्ट, सरकार के फैसले और उच्च न्यायालय के नौ न्यायाधीशों (फुल बेंच) के निर्णय को चुनौती दी गयी है। आज वरिष्ठ न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की युगलपीठ में इस मामले में सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया है कि उनके खिलाफ जो आरोप लगाये गये हैं, वह बेबुनियाद हैं। पीड़िता व उसके परिजनों की ओर से उसके खिलाफ कोई बयान नहीं दिये गये है। जांच रिपोर्ट गलत है। साथ ही उनका पक्ष नहीं सुना गया है।
युगलपीठ ने याचिकाकर्ता को यह भी निर्देश दिये हैं कि वह 24 घंटे के अंदर रजिस्ट्रार जनरल के माध्यम से हाईकोर्ट को नोटिस उपलब्ध करायें। इससे पहले पीठ ने सरकार से पूछा कि इस प्रकरण में जवाब क्यों नहीं दिया गया है तो सरकार की ओर से कहा गया कि जवाब हाईकोर्ट को देना है।
सिविल जज दीपाली शर्मा को हाईकोर्ट की फुल बेंच ने पिछले साल 14 अक्टूबर, 2020 को उनके पद से हटाने का निर्णय लिया था और हाईकोर्ट के प्रस्ताव पर राज्यपाल की ओर से 20 अक्टूबर को मुहर लगा दी गयी थी।
गौरतलब है कि बर्खास्त सिविल जज पर उनके घर में काम करने वाली 16 साल की लड़की को प्रताड़ित करने का आरोप है।
इस संबंध में 10 जनवरी, 2018 को उच्च न्यायालय को एक शिकायत मिली। मेल से भेजी गयी शिकायत को मुख्य न्यायाधीश ने गंभीरता से लिया और देहरादून की जिला न्यायाधीश (डीजे) सुजाता सिंह को प्रकरण की जांच सौंप दी। उन्होंने 9 जून, 2020 को जांच रिपोर्ट हाईकोर्ट को सौंप दी थी।
रवीन्द्र.संजय
वार्ता
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