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असम में पिछले सात महीनों में संदिग्ध मतदाताओं में 1.22 फीसदी की कमी आई

गुवाहाटी 01 अगस्त (वार्ता) असम में इस साल जनवरी से अब तक के सात महीनों में संदिग्ध मतदाताओं की कुल संख्या 1.22 प्रतिशत घटकर एक लाख एक हजार 107 हो गई है।
मुख्य चुनाव अधिकारी नितिन खाड़े ने सोमवार को कहा कि संदिग्ध अथवा डी (डाउटफुल)-वोटर की परिभाषा के अनुसार जो अपनी भारतीय राष्ट्रीयता के पक्ष में सबूत नहीं दे सके।
उन्होंने कहा कि डी-वोटर मतदान कर पाएगा या नहीं, यह तय करने में चुनाव आयोग की कोई भूमिका नहीं है। श्री खाड़े ने कहा कि 5 जनवरी को मतदाता सूची के अनुसार राज्य में एक लाख दो हजार 360 डी-वोटर थे जिनमें 38 हजार 496 पुरुष और 63 हजार 864 महिलाएं थीं।
उन्होंने बताया कि डी-वोटर को हटाना या नियमित करना विदेशी नागरिक प्राधिकरण के आदेशों और बाद में उच्च न्यायालयों के निर्णयों के अनुसार किया जाता है। यदि कानूनी प्रणाली किसी को विदेशी घोषित करती है, तो उसका नाम मतदाता सूची से हटा दिया जाता है।
उन्होने कहा, “यदि न्यायपालिका द्वारा किसी डी-मतदाता को भारतीय नागरिक माना जाता है, तो उसके नाम से उपसर्ग ‘डी’ हटा दिया जाता है। इस तरह डी-वोटरों की संख्या धीरे-धीरे कम हो रही है।”
डी-वोटर का मुद्दा असम के राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्र में सबसे विवादास्पद विषयों में से एक है।
चुनाव विभाग ने सोमवार को एक राष्ट्रव्यापी पहल के तहत पहली बार मतदाताओं के लिए आसान ऑनलाइन मतदाता पंजीकरण फॉर्म शुरू किए है। श्री खाड़े ने कहा कि इस साल की मतदाता सूची का मसौदा नौ नवंबर को और अंतिम सूची पांच जनवरी 2023 को प्रकाशित की जाएगी
सैनी.संजय
वार्ता
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