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काॅलेजों में 455 सहायक प्रोफेसर के पदों को भरने के लिये जारी विज्ञप्ति खारिज

नैनीताल 02 अगस्त (वार्ता) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने प्रदेश लोक सेवा आयोग को झटका देते हुए सरकारी काॅलेजों में 455 सहायक प्रोफेसर के पदों की भर्ती के लिये जारी विज्ञप्ति को दिव्यांग जन अधिकार नियमावली के खिलाफ मानते हुए निरस्त कर दिया है और नये सिरे से प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिये हैं।
मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की युगलपीठ ने ये निर्देश मनीष चैहान व अन्य की ओर से दायर याचिका की सुनवाई के बाद दिये हैं। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि आयोग की ओर पिछले साल चार दिसंबर 2021 को प्रदेश के सरकारी कालेजों में सहायक प्रोफेसरों के 455 पदों को भरने के लिये एक विज्ञापन जारी किया गया था।
याचिकाकर्ता की ओर से आगे कहा गया कि आयोग ने राजनैतिक विज्ञान व इतिहास विषय के पदों को भरने के लिये जो क्षैतिज आरक्षण तय किया है, वह गलत है। उसमें क्रमशः शारीरिक रूप से विकलांग व अनुसूचित जाति के विकलांग श्रेणी के अभ्यर्थियों के लिये उचित आरक्षण की व्यवस्था नहीं किया गया है।
याचिकाकर्ता की ओर से इस मामले उच्चतम न्यायालय के इंदिरा साहनी बनाम केन्द्र सरकार मामले का उदाहरण भी दिया गया है। अदालत ने इसे दिव्यांग जन अधिकार नियमावली, 2017 के नियम 11(4) का उल्लंघन मानते हुए आयोग की ओर से जारी विज्ञप्ति को खारिज कर दिया है और उसे नये सिरे से प्रक्रिया जारी करने के निर्देश दिये हैं। अदालत ने इस मामले में 27 जुलाई को सुनवाई की थी लेकिन निर्णय की प्रति मंगलवार को मिल पायी।
रवीन्द्र.संजय
वार्ता
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