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आईआईटी मद्रास ने तैयार किया कैंसरकारक ट्यूमर का पता लगाने वाला यंत्र

चेन्नई 01 मई (वार्ता) भारतीय प्रौद्यागिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास के शोधकर्ताओं को मस्तिष्क और स्पाइनल कॉड में कैंसर पैदा करने वाले ट्यूमर का पता लगाने के लिए एक यंत्र को विकसित करने में सफलता हासिल हुई है।
ग्लियो बलास्टोमा मल्टीफोरम ड्राइवर्ड (जीबीएम ड्राइवर्स) के नाम से जाना जाने वाला यह यंत्र ऑनलाइन खरीदारी के लिए उपलब्ध है।
आईआईटीएम द्वारा सोमवार को जारी विज्ञप्ति में बताया गया कि ग्लियोब्लास्टोमा मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में तेजी से और आक्रामक रूप से बढ़ने वाला ट्यूमर है। इस ट्यूमर को समझने के लिए हालांकि शोध किया गया है, लेकिन किसी मरीज में इसके होने की प्रारंभिक जानकारी मिलने के बाद भी रोगी के जिंदा बचने की समय सीमा दो साल से भी कम होने के कारण इसके निदान के चिकित्सीय विकल्प सीमित हैं।
जीबीएम ड्राइवर को विशेष रूप से ग्लियोब्लास्टोमा में ड्राइवर म्यूटेशन और पेसेंजर म्यूटेशन (पेसेंजर म्यूटेशन तटस्थ उत्परिवर्तन) की पहचान करने के लिए विकसित किया गया था। इस वेब सर्वर को विकसित करने के लिए विभिन्न प्रकार के कारक जैसे अमीनो एसिड गुण, डीआई- और त्रि-पेप्टाइड रूपांकनों, संरक्षण स्कोर, और स्थिति विशिष्ट स्कोरिंग मैट्रिसेस (पीएसएसएम) को ध्यान में रखा गया।
ग्लियोब्लास्टोमा का विश्लेषण करने वाले इस अध्ययन में 9,386 ड्राइवर म्यूटेशन और 8728 पैसेंजर म्यूटेशन शामिल हैं। ग्लियोब्लास्टोमा में ड्राइवर म्यूटेशन थे 1,809 के ब्लाइंड सेट में 81.99 प्रतिशत की सटीकता के साथ पहचाना गया म्यूटेंट, जो मौजूदा कम्प्यूटेशनल तरीकों से बेहतर है। यह विधि पूरी तरह से प्रोटीन अनुक्रम पर निर्भर है।
आईआईटी-मद्रास के जैव प्रौद्योगिकी विभाग के प्रो.एम.माइकल ग्रोमिहा ने इस शोध का नेतृत्व किया । उनकी टीम में मेधा पाण्डेय, पीएचडी छात्र, आईआईटी-मद्रास और आईआईटी-मद्रास के दो पूर्व छात्र डॉ. पी. अनूशा वर्तमान में ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी, कोलंबस में और डॉ़ धनुष येसुदास जो अभी अमेरिका के राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान में शामिल रहे हैं। इस शोध के निष्कर्ष जाने माने जनरल बायोइंफॉरमेटिक्स में प्रकाशित हुए हैं।
इस शोध के बारे में बताते हुए प्रो़ ग्राेमिहा ने कहा, “हमने कैंसर पैदा करने वाले म्यूटेशन को पहचानने वाले अमीनो एसिड की विशेषताओं की पहचान की है साथ ही ड्राइवर और न्यूट्रल म्यूटेशन के बीच अंतर करने की उच्चतम सटीकता हासिल की है। हमें उम्मीद है कि यह टूल (जीबीएम ड्राइवर) ड्राइवर ग्लियोब्लास्टोमा में म्यूटेशन को प्राथमिकता देने में मदद कर सकता है और क्षमता की पहचान करने में सहायता चिकित्सीय लक्ष्य, इस प्रकार दवा डिजाइन रणनीतियों को विकसित करने में मदद करते हैं।”
इस अध्ययन में जिस तरीके और टूल्स का इस्तेमाल किया गया उसे अन्य बीमारियों में भी प्रयोग किया जा सकता है।
सोनिया, उप्रेती
वार्ता
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