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टिहरी विस्थापितों की भूमि पर अवैध बहुमंजिला भवनों के मामले में हाईकोर्ट सख्त, दस्तावेज तलब

नैनीताल, 24 मई (वार्ता) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने ऋषिकेश के आमबाग में टिहरी विस्थापितों की भूमि पर गैरकानूनी तरीके से बनाये जा रहे बहुमंजिला भवनों के मामले में गंभीर रूख अख्तियार करते हुए सरकार और देहरादून जिला विकास प्राधिकरण (डीडीडीए) को समस्त दस्तावेज एवं वास्तविक स्थिति के साथ अगली तिथि को अदालत में पेश होने के निर्देश दिये हैं।
मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की युगलपीठ ने स्थानीय विस्थापित जन कल्याण समिति की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद बुधवार को ये निर्देश जारी किये। याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि सरकार की ओर से टिहरी के विस्थापितों को ऋषिकेश के पशुलोक के पास आमबाग में मकान व काश्तकारी के लिये भूमि उपलब्ध करायी गयी है।
सरकार की ओर से इसे ग्रामीण स्वरूप दिया गया था। याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि भूमाफियाओं और बिल्डरों ने विस्थापित किसानों की भूमि पर गैरकानूनी तरीके से बहुमंजिला भवन एवं फ्लैट बना दिये हैं और उन्हें विदेशी और बाहरी लोगों को बेच दिये हैं। इन भवनों को बनाने के लिये न तो अनुमति ली गयी और न ही नक्शे पास कराये गये।
समिति की ओर से आगे कहा गया कि ग्रामीण परिवेश के चलते यहां ढांचागत सुविधायें सीमित हैं। सड़क, पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं पर बाहरी लोगों का कब्जा हो गया है। यहां न तो सीवर की व्यवस्था है और न ही कूड़ा निस्तारण की सुविधा है जिससे विस्थापितों की समस्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है।
याचिकाकर्ता की ओर से यह भी कहा गया कि अदालत ने 2019 में एक आदेश जारी कर कहा था कि यहां बिना अनुमति के बहुमंजिला भवन व इमारतें नहीं बनाये जायेंगी। अदालत ने डीडीडीए को भी इस मामले में जवाब पेश करने को कहा था लेकिन डीडीडीए आज तक जवाब पेश नहीं कर पाया है। सरकार भी इस मामले बगले झांकती रही।
अदालत ने इस मामले में सख्त रूख अख्तियार करते हुए सरकार एवं प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े किये। अदालत ने कहा कि दोषी अधिकारियों पर आज तक क्यों कार्रवाई नहीं की गयी है? अदालत ने यह भी कहा कि जब तक कोई जनहित याचिका दायर नहीं करता तब तक किसी की नींद नहीं टूटती है।
अदालत ने अंत में सरकार और डीडीडीए को सभी दस्तावेजों के साथ ही अभी तक की वस्तुस्थिति के साथ 12 जुलाई को अदालत में पेश होने को कहा है।
रवीन्द्र.उप्रेती
वार्ता
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